ऊर्जा का अति दोहन,
मानवता का शोषण!
ऊर्जा की ताक़त मेरी मुठ्ठी में,
उर्जा की ताक़त तेरी मुठ्ठी में,
माँ के आँचल में,मेरे घर के आँगन में।
गाँव के पीपल में,
चौपाल के बूढ़े बरगद में
नन्हीं सी कोंपल में,
तालाब में,जंगल में,
उर्जा की ताक़त,मेरी मुठ्ठी में,
उर्जा की ताक़त,तेरी मुठ्ठी में,
शहर की सड़कों में,तड़क-भड़क में,
गाड़ी में,जहाज़ में,देश की आवाज़ में,
कैसे बचाएं इसे,कैसे बढ़ाएं इसे
उर्जा की ताक़त मेरी मुठ्ठी में
उर्जा की ताक़त तेरी मुठ्ठी में
हवा में,मेरी सांसों में
कण-कण में समाई अपार उर्जा
तेल के कुओं में
नदियों के धारों में
खानों खदानों मेँ
सूरज की तपन में
कण-कण में समाई
अपार उर्जा
उर्जा के बिना जीवन
सिर्फ है एक जंग
उर्जा नहीं तो जीवन
रसहीन है और बदरंंग
उर्जा का दोहन
अपना ही है शोषण
बिगड़े पर्यावरण
फैलता है प्रदूषण
उर्जा का बिना जीवन
रसहीन है,बदरंग है
सबको मिले उर्जा
ऐसा हो इन्तज़ाम
ना हो इसकी किल्लत
ना बढ़े इसका दाम
इसकी कीमतों से अन्टी हूई ढीली
जनता के चेहरे
त्रस्त और हुई पीली
उर्जा की ताक़त,मेरी मुठ्ठी में
उर्जा की ताक़त,तेरी मुठ्ठी में
कण-कण में समाई है
अपार उर्जा!
कलमश्री विभा सी तैलंग
5/06/2024
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