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Saptkiran Blog Diary Posts - Part 7 |
तारीख 01/04/2025
कॉलम- "चलते फिरते "
फ़िलहाल@यानि कि अभी ये@
अब ये @पहले ये@
हेयर एंड नाउ@
Here and Now
@यानी @तत्काल@तुरनतो@फौरन@
फटाफट@अभी का अभी ही@
आज ही @जल्दी
@पलक झपकते ही
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
"वक्फ बोर्ड बिल और सरिया कानून@मेहर@ दहेज@ contract marriages@ "
तीन तलाक,UCC@समान अचार संहिता
तारीख 05/05/2025
कॉलम-"चलते-फिरते"
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
पाकिस्तान का कश्मीर अलाप,और
तालिबान,अफगानिस्तान,बलूचिस्तान,
पाखतुनिस्तान व POK का स्यापा!
सुना 19 अप्रैल को मोदी कश्मीर की घाटियों में रेल्वे. लाइन का उद्घाटन करने जानेवाले थे!
मौसम अनुकूल ना था इसलिए गए नहीं !
पर उनके आने का इंतजामात तो हुआ होगा!
आतंकी हमला उसी दिन होना था,पर हुआ नहीं!
मोदी बच गए पर तीन दिनों बाद
26 पर्यटकों का कत्ल हुआ!
ठीक वैसे ही,जैसे मोदी का होना था!
फिर मोदी-शाह-राजनाथ-अजीत जी को
इसकी हवा क्यों नहीं लगी?
ऐसी कैसी हवा चली वहाँ कि
हमारे गुप्तचर और सेना विभाग को
कुछ पता ही नहीं चला
और इतना कुछ हो गया!
हद है लापरवाही की!
आखिर मदद तो उन्होंने
स्थानीय@लोकल लोगों से ही ली होगी
झांसे देकर या उनकी मिलीभगत से
इस कारनामे को अंजाम दिया होगा!
22 अप्रैल से अब 6 मई हो गया!
अब तक वार-मोनगरिंग हुई
मीडिया वार हुआ !
सोशल मीडिया बैन हुआ
यूट्यूब चैनल बंद हुए
ठीक वैसे ही जैसे
"काशीर चैनल बंद" किया था
कारगिल युद्ध के दौरान!
कहते थे वार प्रोपेगेंडा कर रहे हैं !
मीडिया के मार्फत क्रॉस बॉर्डर टेरोरिज़म!
अब तो पूरी की पूरी फौज है सोशल मीडिया की
सरहद के इस पार भी और उस पार भी!
पूरी दुनिया में नेटवर्क फैला है
एक आमजन का भी!
खास होना या खुफिया होना
अब जरूरी नहीं इसके लिए!
सीमाहीन हैं दिशाएँ
भूमि,आवास,वीजा,पासपोर्ट,
रोज़गार ,नागरिकता
और धर्म,संप्रदाय,जाति,भाषा
देसी या विदेशी होने का तनाव नहीं
पर अब होगा
क्यूंकि अब युद्ध हो रहा है
क्योंकि अब प्रोपेगेंडा फैलता है
अफवाहें फैलती हैं
और बहुत कुछ होता है
जोकि नहीं होना चाहिए !
जमीनी स्तर पर
आर्थिक,सामरिक,वैचारिक
सीमाओं पर और युद्ध स्तर पर भी !
अगर चैनल,सोशल मीडिया बंद
हों तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
एक हद तक समाप्त हो सकती है
तैश में आकर बहुत कुछ बोल गए
आर पार की लड़ाइयाँ करवा के मानेंगे
"स्वाभाविक है, खून तो खौलता ही है!"
आखिर एक व्यक्ति का कत्ल
एक परिवार को झकझोरता है
पर आतंकी हमले देश के स्वाभिमान को!
दोनों देश अपने अभिमान व स्वाभिमान
की लड़ाइयाँ लड़ेंगे अब
देखें कौन कितनी दूर जाएंगे!
पर कोई भी कदम को
बढ़ाने से पूर्व अपने अतीत में
एक बार झाँक कर देखना जरूर
1965 व 1971 के युद्ध
व अनेक छाया युद्ध-क्षद्म युद्धों को
याद रखें, करगिल भी 25 वर्ष पूर्व हुआ
क्या दोनों देश इतने जान माल हानि को तैयार हैं?
असीम मुनीर से सवाल है ?
अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए
अपने कार्यकाल को 10 और वर्ष बढ़ाने के लिए
क्या वे अपने देश को युद्ध में झोंकेगे
अब अगर साबित होता है कि
य़ह हमला आप ही ने करवाया है
हमारे 26 नागरिकों को मरवाया है
तो इसकी सजा भुगतने को तैयार हैं?
ब्लड-बाथ और नरसंहार वार क्राइम है!
और अगर जिया-ऊल-हक्क बन
परमाणु युद्ध करने को उतावले हैं
तो अमरीका भी आपके हथियारों को
अपने कब्ज़े में लेने की
चेतावनी दे चुका है!
और फिर क्या पाकिस्तान के 4 टुकड़ों
अफगानिस्तान और तालिबान की भाँति. बलूचिस्तान, पाखतुनिस्तान
पाक अधिकृत कश्मीर को
आप आज़ादी दे देंगे??
आखिर युद्ध हुआ तो हम POK तो सौगात में लेंगे ही
बलूचिस्तान को भी स्वतंत्र देश बनाएंगे !
शाहनवाज जी,नवाज शरीफ जी,
इमरान खान,बिलावल भुट्टो
उन्हें भी आपके संग झुकना होगा !
आपकी सेना व संसद को मानना होगा !
मैने 26/11/2008 के दौरान कहा था
पाकिस्तान स्वयं आतंकवाद से घायल है!
आप आंकड़े देखें, टाइमिंग और संयोग भी
जब जब आपने हम को
आतंकी हरकतों से घायल किया
उधर अफगानिस्तान और तालिबान ने
आपके घर में घुस कर तोड़ा फोड़ा,
आपको चोट मलाल दिया!
अब तो बलूचिस्तान भी है,जो आज़ादी चाहता है !
हमारी गुणगान में कसीदे काढ़ता है
उनकी प्रमुख,अलग देश बनते ही सबसे पहले
हमारे प्रमुख की मूर्ति लगवाना चाहती है !
बेताब तो पाखतुनिसतान भी है
आजाद देश बनने को
आपके चंगुल से छूट कर
नया राष्ट्र बन
नयी पहचान बनाने को
अब बताओ उनकी खता क्या है ??
सोच लो और बताओ कब
हमसे दो दो हाथ करना है
चुन चुन कर बदला हम भी लेंगे
सभी पुराने ज़ख़्मों को सहला कर
उसके सारे हिसाब चुकाएंगे !
आप साज़िश करतें रहना
हम उन साजिशों की काट निकाल लाएँगे!
डॉ कलम श्री विभासुधीर सी तैलंग
06/05/2025
कॉलम -चलते-फिरते
वॉचडॉग - डॉ कलमश्री विभासुधीर तैलंग
पाकिस्तान प्रमुख शाहनवाज बलूचिस्तान गए थे
पर लगता है बात बनी नहीं,
कोहराम मचना लाजिमी है
दक्षिणी एशिया के देशों में शोरगुल है
पूर्व में बांग्लादेश
हमारे नागालैंड के सीमा के अंदर
त्रिपुरा के कैलाशनहर
बिलोंनिया में डैम बना रहे हैं !
आज पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की. 5 सालों तक लंदन में ईलाज के बाद घर वापसी अपने देश के लोकतंत्र को
बचाने के लिए, सही वक़्त पर हुआ!
वे भारत समर्थक और हितैषी हैं,ये भी अच्छा है!
BSF ने बांग्लादेश पाकिस्तान बॉर्डर पर
16 बटालियन बढ़ा दिए हैं,और दो फील्ड HQ!
उधर बलूचिस्तान से पाकिस्तान त्रस्त है
पर फिर भी उसे भारत से लड़ना है.
पाखतुनिस्तान में अलग
आज़ादी की नारे बाजी है
चलो अच्छा है अबकी
निर्णायक लड़ाई हो ही जाए!
पर यह ना हमारी चालबाजी है !!
****पर याद आया वो सुनी कहानी
साभार विकिपीडिया लिखती हूँ
मेरा जन्म सन 1965 के 30 जनवरी को हुआ
इस दिन को हर वर्ष "शहीद दिवस"
या "गाँधीजी की पुण्यतिथि"
के रूप मेँ मनाते हैं!
उस दिन सुबह उनके सम्मान में
प्रार्थना करने के लिए
"दो मिनट" का "मौन धारण" भी रखतें हैं!
उसी वर्ष भारत पाक युद्ध
अप्रैल 1965 से 23 सितंबर तक हुई!
इसे कश्मीर के दूसरे युद्ध के
नाम से भी जाना जाता है!
भारत और पाकिस्तान के बीच
जम्मू और कश्मीर
राज्यों पर अधिकार के लिए
बँटवारे के समय से ही
विवाद चल रहा है!
1947 में भारत पाकिस्तान
के बीच पहला युद्ध भी
कश्मीर के लिए ही हुआ था!
इस लड़ाई की शुरुआत
पाकिस्तान ने अपने सैनिकों को
घुसपैठियों के रूप में भेज कर
इस उम्मीद में की थी
कि कश्मीर की जनता
भारत के खिलाफ विद्रोह कर देगी!
ठीक वैसे ही जैसे
अभी 22 अप्रैल 2025 को किया
पर तब उस अभियान का नाम
. पाकिस्तान ने
युद्ध अभियान "जीब्रालटर"
रखा था!
और बाद में इस ऑपरेशन को
नाकाम होते देख कर
एक दूसरा अभियान शुरू किया
"ऑपरेशन ग्रांड स्लैम "
जब देखा POK की राजधानी
"मुजाफाराबाद" भारत के
. कब्ज़े में जानेवाला है !
स्वयं पर दबाव कम करने के लिए
य़ह "ग्रांड स्लैम" ऑपरेशन शुरू किया !
इस अभियान का उद्देश्य कश्मीर घाटी
का शेष भारत से संपर्क तोड़ कर
रास्ता choke@चोक करना था
ताकि उसका रसद
और संचार व्यवस्था भंग कर दी जाए !
पांच महीने तक चलने वाले
इस युद्ध में
दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे गए
इस युद्ध का अंत
संयुक्त राष्ट्र के द्वारा
युद्ध विराम की घोषणा के साथ हुआ
और ताशकंद में दोनों पक्षों में समझौता हुआ!
इस युद्ध में द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद
टैंकों से सबसे बड़ा युद्ध लड़ा गया!
इस लड़ाई का अधिकांश हिस्सा
दोनों पक्षों की थलसेना ने लड़ा !
यानी बातें हवाई ही नहीं, ज़मीनी थी!
करगिल युद्ध के पहले कश्मीर के विषय में
इतना बड़ा जमावड़ा नहीं हुआ था!
तब देश के राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन और. प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री थे!
संयुक्त-राष्ट्र के घोषणापत्र के द्वारा युद्ध-विराम
और ताशकंद घोषणापत्र में ऐसा लिखा है
**मेरे मौलिक विचार-
सीमा क्षेत्रों में कोई बदलाव नहीं हुआ
जब युद्ध विराम की घोषणा हुई
तो भारत का पलड़ा भारी था!
पर युद्ध शुरू हुआ और समाप्त हुआ
सब जस का तस था
बस युद्ध विभीषिका
और बर्बादी,उससे उत्पन्न दुख,
गरीबी बिखरा था
राजस्थान के बीकानेर में
शास्त्रीजी ललिताजी आए थे तब
भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित
इस नगरी में भी मातम पसरा था
अमेरिका नें गेंहू देने से इंकार किया था
इसलिए लोगों से अपील की थी
अन्न धन दान करें,
एक वक़्त व्रत, एक बार भोजन कर
अन्न सबके आपूर्ति के लिए बचाएँ !
बाद में रूस ने मोटे दाने वाले
लाल गेंहू व चावल का
निर्यात कर
भारत की मदद करके एहसान किया!
सुधीर तैलंग तब 5 वर्ष के बच्चें थे
बताया था कैसे मौक ड्रिल या बचाव
के लिए गड्ढों को खोदा गया था!
सायरन की आवाजें,
हवाई सर्वेक्षणों-निरीक्षण का दौर था
हमारा छत पर भाग कर जाना
कभी कमरों में तो,
कभी घुमारिया यानी
बेसमेंट में,व गड्ढों में छुपना !
रेडियो से चिपके रहना !
बड़े बुजूर्गों से आज़ादी की लड़ाई
और विभाजन के दौर के किस्से सुनना
शायद यही वज़ह थी कि बाद में
बीकानेर से कुछ किलोमीटर दूर
भारत पाकिस्तान सीमा पर जाकर
उन्होंने कई बार स्केच बनाए
जमीनी हक़ीक़तो से वाकिफ होने के लिए
लोगों से बातचीत की,
रेडियो पर इस बाबत प्रसारण भी हुआ!
आगे चलकर बतौर कार्टूनिस्ट
उन्होंने आतंकवाद,नक्सलवाद,क्राइम,
सेना व सैन्य करवाईंयों
पर अनेकों कार्टून बनाए हैं!
10/मई /2025
कॉलम-चलते-फिरते
वॉच डॉग -डॉ कलम श्री विभा सुधीर सी तैलंग
ऑपरेशन सिंदूर
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Saptkiran Blog Diary Posts - Part 6 |
30)- तारीख-30/03/2025
कॉलम- चलते-फिरते
वॉचडॉग-कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
आज मै कबीरजी के दोहों में नारी विवेचना पर मेरे विचार कुछ पंक्तियों में संप्रेषित करूंगी जोकि उन्होंने ही अपने दोहों में लिखा है और उसमें उनके अपने सोच में मतभेद है,दोगलापन है, जो उनके मानसिक दुविधा को दर्शाता है! सम्भवतः उनके निजी अनुभव उन्हें ऐसा लिखने को प्रेरित करते होंगे!
जहाँ कबीर जी एक तरफ
नारी को रत्नों की खान कहते हैं,
और कहते हैं वे ही प्रभु भक्तों,
संतों को जन्म देती है!
उन्हें नर्क मत समझो!....
"नारी नरक ना जानिए,
सब सौतन की खान,
जामे हरिजन उपजे,
सोइ रतन की खान !"
"वहीं दूसरी तरफ उसे,
विष की बेल भी कहते हैं!
"छोटी मोटी कामिनी,
सब ही विष की बेल,
बैरी मारे दाव से,
यह मौरे हंसि खेल!
या फिर उन्हें "सर्पनी"
कहकर पुकारते हैं!"
"कामिनी सुन्दर सर्पनी,
जो छरे तिहि खाय!
जो हरि चरणन राखिया,
तिनके निकट ना जाए!"
जहाँ उन्हें "नारी पुरुष की स्त्री,
पुरुष नारी का पूत
यहि ज्ञान विचारि के,
छारी चला अवधूत",
तो उन्हें विषफल भी कहते हैं-
"नारी पुरुष सब ही सुनो,
य़ह सतगुरु की साखी
बिस फल फले अनेह है,
मति कोई देखो चाखि!
उन्होंने कहा है,
नारी और धन से-
जीवन के दो
अत्यंत ख़तरनाक
बिहड घाटियाँ को
पार कर के ही कोई
परमात्मा के शरण में
पहुंच सकता है!
"चलो चलो सब कोय कहे,
पहुंचे बिरला कोय
एक कनक और कामिनी,
दुर्गम घाटी दोय!"
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
31)-तारीख-31/03/2025
कॉलम- चलते-फिरते
वॉचडॉग-कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
****इसी महीने की खबर है, मोदी मारिशस के प्रमुख से मिले, उन्हें बिहार का खास भोजन "मखाना ", जोकि मारिशस में भी लोकप्रिय है, भेंट में देकर आए! मैं अपनी पुरानी लिखी एक कविता यहाँ लगाती हूँ!"
दूर देश मॉरीशस में
कबीर पंथी गाते गीत
टापू में गूंजते अलख जिसके
"प्रीत " की रीत के संगीत!
डंका बजती दोहे की,
जो शांति-प्रेम की राह दिखाए!
ढाई आखर प्रेम का,
जो पढ़े सो,
पंडित कहलाए
जात-पात,
वर्ग-भेद,
लिंग-धर्म
ऊंच-नीच,
स्त्री-पुरुष,
बच्चे-युवा-वृद्ध
अर्द्धनारीश्वर,
अपाहिज,
बीमार-लाचार,
गरीब-अमीर
जुलाहे,
किसान,
मज़दूर
सबमें प्रेम की रीत सही
जो सब पर एक सा बरसे
इंसानियत का डोर जो जुड़े
और तोड़े फिर भी ना टूटे!
कहे कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
कबीरा याद दिलाए
चौराहे पर खड़े खड़े राग सुनाए!
मानवता पर कलंक है,
भेदभाव,घृणा,नफरत,
ओछापन,आतंक के बोल!
मन के कलुष का द्योतक है,
जो! जिह्वा पर कालापन होवे,
यही चलन है, कहकर
बदलाव,परिष्कृत कर ना स्वीकारें,
अक्खड़-कट्टर, बोल-सुनाकर
परिवर्तन के राह में बाधा डारे!
बालक-सा अबोध निश्छल मन हो,
गर प्रेम स्नेह प्रीत हो रीत!
वर्ना सब अवरोधक बने,
शांति के राह में रोड़े अटकायें,
देश, समाज, परिवार, व्यक्ति,
विश्व-शांति के पथ-प्रशस्तक!
जो बीज़ हम मन बोयें,
कल को फल उसी वृक्ष की खाएँ!
कह कबीरा इठलाये,
विश्वगुरु ऐसे ना बनिहे,
गुरु के गुरुत्व को समझकर
जुलाहे चादर बुनिहे,
अपनी संस्कृति की
झलक को उसमें बुनकर,
चादर उतनी ही फैलाएं
अपनी देह टांग जितनी में आए,
औरों को भी राह दिखाए!
कह कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
नमन! कबीरजी को करे
ढाई आखर प्रेम की पोथी से
जो विश्वबंधुत्व की पाठ पढ़ाये!
परिवर्तन का बयार बहाए,
सुख,शांति,उन्नति,समृद्धि,
यशस्वी होने की राह बताएं!
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग |
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Saptkiran Blog Diary Posts - Part 5 |
27)- तारीख-27/03/2025
कॉलम- चलते-फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
न्यायालय को "न्याय की देवी" का मंदिर कहते हैं!
उस उच्च शिखर पर बैठे न्यायविदों से
लोगों की अपेक्षाएं काफी होती हैं !
राजनेता ,पुलिस, नौकरशाहों व पत्रकारों
के बिकने के बाद,न्यायविदों से ही
आखिरी उम्मीदें न्याय पाने की होती है!
पर गर न्यायविद ही भ्रष्टाचार से लिप्त हों
तो आम जनता कहाँ जाए!
अभी भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली के
पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया
को ज़मानत नहीं देने वाले
न्यायधीश श्री यशवंत वर्मा ,
अब स्वयं "भ्रष्टाचार" के आरोपी हैं!
उनके घर में आग लगी तो ,
डेढ़ सौ करोड़ रुपये मिले !
कुछ तो आग में जल भी गए!
उन्हें दिल्ली से इलाहाबाद हाई कोर्ट
ट्रांसफर कर दिया गया है !
जैसे स्थानांतरण से समस्या का
निदान हो जाएगा!
हो सकता है आशंका हो कि
अपने खिलाफ
कुछ सबूतों को मिटाने में
वे सफल हो जाएं!
ऐसा तो वे वहाँ बैठे बैठे
भी करवा सकते हैं!
कोलेजियम का निर्णय सिर आंखों पर ,
पर फिर क्यों हो रहा है विरोध प्रदर्शन!!
इलाहाबाद हाईकोर्ट अपनेआप को डस्टबिन
नहीं कहलवाना चाहता,
जहाँ दिल्ली का कचरा उठा कर डाल दिया जाए!
वहाँ के वकीलगण सड़कों पर उतर आए हैं
उनके इलाहाबाद आगमन पर
हाय-हाय मचाये हैं
देखिए आगे क्या होता है,
पर सब कुछ ठीक नहीं है,न्याय व्यवस्था में
तो चलिए फिर,
थोड़ा "कोलेजियम प्रणाली" के बारे में जाने !
य़ह एक प्रणाली है जिसके तहत
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों,
वकीलों की नियुक्ति/उन्नयन
उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालतों
के न्यायधीशों के स्थानांतरण का निर्णय
भारत के मुख्य न्यायाधीश(CJI)
और सर्वोच्च न्यायालय के
4 वरिष्ठतम न्यायाधीशों के एक मंच
द्वारा किया जाता है!
यानि भारत के चीफ जस्टिस
और सुप्रीम कोर्ट के 4
वरिष्ठतम जजों का एक समूह है!
ये 5 लोग मिलकर तय करते हैं कि
सुप्रीम कोर्ट में कौन जज होगा!
कोलेजियम संवैधानिक संस्था नहीं है,
ना ही वैधानिक है,अपितु,इसकी स्थापना
सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के माध्यम से हुई है!
भारत का मूल संविधान या क्रमिक संशोधनों में
कोलेजियम का कोई उल्लेख नहीं है!
जजों की नियुक्ति करने की
य़ह प्रक्रिया असंवैधानिक है!
जज चुने जाने की प्रक्रिया में
भयंकर वंशवाद है या भाई भतीजा वाद है!
जिसे न्यायपालिका में "अंकल कल्चर " कहते हैं ,
यानी ऐसे लोगों को जज
चुने जाने की संभावना ज्यादा होती हैं
जिनकी जान-पहचान के लोग पहले से ही
न्यायपालिका में ऊंचे पदों पर है!
हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति भी। कोलेजियम की सलाह से होती है
जिसमें सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस,
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस
और राज्य के राज्यपाल शामिल होते हैं!
कोलेजियम बहुत पुराना सिस्टम नहीं है!
न्यायाधीशों की नियुक्ति की
कोलेजियम प्रणाली "तीन न्यायाधीशों के केस"
के माध्यम से पैदा हुई थी ,
जिसने 28 अक्तूबर, 1998 को संवैधानिक
अनुच्छेद की व्याख्या की थी !
वर्ष 1998 में उच्चतम न्यायालय ने
तृतीय न्यायाधीशों के मामले में
निर्णय देते हुए कहा कि
राष्ट्रपति को दिया गया परामर्श
बहुसंख्यक न्यायाधीशों का
परामर्श माना जाएगा !
इस निर्णय के माध्यम से
1998 में ही
कोलेजियम व्यवस्था को
5 सदस्यीय बना दिया गया
जिसमें उच्चतम न्यायालय और
उच्च न्यायालय के अन्य 4
वरिष्ठ न्यायाधीश सम्मलित होते हैं!
शुरू में कोलेजियम व्यवस्था में
उच्चतम न्यायालय के
मुख्य न्यायाधीश सहित
3 सदस्य हुआ करते थे,
जो मुख्य न्यायाधीश के बाद
वरिष्ठता सूची में क्रमशः
दूसरे और तीसरे नंबर के होते थे !
इसके बाद से कोलेजियम व्यवस्था
के माध्यम से उच्चतम न्यायालय और
उच्च न्यायलय के न्यायधीशों की
नियुक्ति के सन्दर्भ में राष्ट्रपति को
सिफारिश की जाने लगी!
इसी कोलेजियम की अनुशंसा पर
उच्च न्यायालयों के न्यायधीशों का
स्थान्तरण भी किया जाता है !
डॉ कलमश्री विभा सुधीर सी तैलंग
28)- तारीख-28/03/2025
कॉलम-चलते-फिरते
वॉचडॉग -कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
औरंगजेब का कब्र खोदना
कुछ ऐसा है जैसे,सुधीर तैलंग
के कार्टूनों में 1984 के भोपाल गैस त्रासदी
और सिख दंगों की
फाइल खोल केस का कब्र खोदना! औरंगजेब इतिहास में छठे
मुगल शासक के रूप में दर्ज हैं,
उनके कार्यकाल के अच्छे बुरे कारनामे,
नीतियां,आदेश,आक्रमण,
अत्याचार और युद्ध-सबकुछ!
बेहतर है, इतिहास को मिटाने के बजाय
सुधार करके सुलझाएं !
उससे सीख और सबक लेकर
आगे बढ़ें, वर्तमान और भविष्य सुधारें !
जिसे सजा मिलनी थी,तब मिल चुकी
अब नए सिरे से क्या,
"किसी को भी" फांसी पर चढ़ा पाएँगे??
डॉ कलम श्री विभा सुधीर तैलंग
29) तारीख-29/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग-कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
कोई कुनाल कामरा नामक कॉमेडियन
और महाराष्ट्र के नेताओं की
औरंगजेब कॉमेडी
क्या फर्क है इनमें ,
एक पर उप-मुख्यमत्री शिंदेे
का मज़ाक़ उड़ाने का आरोप है
पर आखिर मनोरंजन करना भी तो
समाजसेवा ही है
दूसरों ने एक ऐतिहासिक किरदार के
कब्र को खोद कर के समाज की सेवा की
आखिरकार किसी को चर्चे में
लाना भी तो समाजसेवा है?
अब बताओ कार्टूनिस्ट बालाजी ठाकरे के मुंबई में
मनोरंजन के केंद्र फिल्म नगरी में
फिल्मी गाने की पैरोडी बनाना
क्यों मुश्किलें पैदा करता है?
टी-सीरीज ने पायरेसी का केस ठोंका है,
शिंदे ने फूहड़ता का राग आलापा है!
कामरा के खिलाफ मानहानि का दावा
कई और आरोप भी लगाया है!
क्यों कुछ मौलिक नहीं लिख सकते कामरा
जो अतीत के गर्त में खोए
टी सीरीज के गानों को फिर से चर्चित किया !
पहले से रिमिक्स गानों में,
कुछ अपना और मिक्स किया!
चोरी करनी हो आइडिया की
तो साभार करो
कॉपीराइट एक्ट की तहत
नियमों की बात मान कर करो!
मज़ाक़ बनाना हो तो
चुटकी चाटुकार बन कर काटो
बीरबल,तेनालीराम नहीं तो,
डी के बरूआ बनो,
इंडिया इज इंदिरा,
इंदिरा इज इंडिया
मेरा मतलब अब तो
राडिया इज मीडिया,
मीडिया इज़ राडिया
के तर्ज़ पर शिंदे महाराष्ट्र के
महामंत्री को राग सुनाओ
महामंत्री की असलियत
उनकी उपलब्धियां हैं, कमियां नहीं
य़ह कर कमियाँ बताओ,
उनकी तारीफ करोगे तो वो खुश होंगे,
आईना दिखाओगे तो जनता खुश होगी!
प्रदेश की उन्नति चाहोगे तो
चाशनी में लपेट कर सत्य बोलो,
बिना लाग-लपेट कर सत्य सुनाने से
समस्याओं को गीत में पिरोने से
वे नाराज होंगे,
तुम्हारे खिलाफ दंगे होंगे
अश्लील@फूहड़ हुए बिना
दादा कोंडके से भौंडै हुए बिना
उन्हें धो डालोगे तो,
विपक्ष साथ देंगे!
तलवे चाटोगे तो ,
चमचे बनोगे तो ,
"Z श्रेणी की सुरक्षा" मिलेगी,
वरना जेल की सुरक्षा मेँ
किसी कोने में कैद सड़ते रहोगे!
कहे कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग
नहीं कोई हील हवाला
हास्य व्यंग्य है लोकतांत्रिक शस्त्र
ब्रश कलम शब्दों रचनात्मकता से
करो प्रहार,
ना हो कुन्द इसकी मारक क्षमता का वार
पर ,
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को फूहड़ता
से ना करो जलील और छोटा!
"सेंस ऑफ ह्यूमर" को समझो
मान बढ़ाओ इसकी,
खींच स्वयं "लक्ष्मण रेखा "!!
डॉ कलम श्री विभा सुधीर तैलंग |
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Saptkiran Blog Diary Posts - Part 4 |
23)-तारीख-23/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
म्यांमार
24)-तारीख-24/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
बांग्लादेशी घुसपैठियों और
रोहिणगिया घुसपैठियों
जो हैं तो बांग्लादेशी,
पर उनकी जड़ें
म्यांमार से जुड़ती हैं!
हालांकि बांग्लादेशी रिफ्यूजी
अधिकाँशत हिंदू है जबकि रोहिणगिया घुसपैठियों की
अधिक तादाद मुस्लिमों की है!
25)-तारीख-25/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में
50 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किए !
बीजापुर के ऑफिस में,
SP/DIG/CRPF के
पुलिस अफसरों के सामने ,
सम्भवत ऐसा पहली बार हुआ
कि एक साथ सामुहिक आत्मसमर्पण
इतनी बड़ी तादाद में किया गया!
एक बार में 17 नक्सलियों के मारे
जाने पर य़ह निर्णय लिया होगा!
इनमें 13 नक्सलियों पर
68 लाखों का ईनाम घोषित है !
इनमे कई महिलाएं भी हैं !
इनमें से कोई "अर्बन नक्सल" नहीं है
नक्सल सरकार के विकास के
कार्यों में बाधा डालते रहे हैं !
ये अपना समानान्तर सरकार चलाते हैं!
ताकि उनका ध्यान
अपनी मांगों की तरफ खिंच सके!
पर सरकार इनका पुनर्वास
करवाना चाहती है!
नक्सली तो औरंगाबाद बिहार
झारखंड के इलाकों में अभी भी हैं,
महाराष्ट्र,तेलंगाना,आंध्र प्रदेश,पश्चिम बंगाल और
कुछ उत्तरप्रदेश,मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में!
ऑपरेशन जारी है,
COBRA FORCE. SDF,DRG,CRPF,
BIJAPUR POLICE
Encounter कर रहे हैं,
आत्मसमर्पण के लिए दबाव बना रहे हैं !
भाजपा सरकार का संकल्प है
सन 2026 मार्च तक माओवादियों को
देश से समाप्त करेंगे
माओवाद समाप्त करने के लिए
गरीबी, भूखमरी,दरिद्रता,
अशिक्षा, बीमारियां,अस्पतालों की. समस्याओं, कमियों को दूर करने की कारगर जमीनी उपाय
आवासीय समस्याओं व जरूरतों
की अनिवार्यत आपूर्ति, स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं,यातायात व आवागमन के साधन
सड़क बिजली पानी
जमीन जंगल जोरू जानवर
सबकी सुरक्षा
मानवाधिकारों के हनन,
दुराचार, बलात्कार ,
जघन्य अपराध करने वालों
को कठोर सजा
और भी अनगिनत मांगें हैं उनकी
पूरी करनी होगी !
आसानी से हथियारों की प्राप्ति पर रोक,
उनके जीवनयापन व अन्य जरूरतों के लिए
आसानी से काला धन उपलब्ध कराना
जिसे हम "टेरर फंडिंग" भी कहते हैं
और फिर उसका राजनीतिक फायदा
उठाने की मंशा
उनसे संबंधित समस्याओं को हवा दे कर
वोट वसूलने की राजनीति,
इसे सामाजिक मुद्दे के बजाए
इन्हे राजनीति का मोहरा बना कर
इस्तेमाल करने की नियत
इससे ऊपर उठकर
समस्याओं का समाधान हो
तभी पूर्णतया माओवाद व
माओवादी सुसुप्त होंगे !
आप लोग सोच सकारात्मक रख कर
रिफॉर्म करते रहें!
हम यहाँ भाषण देकर
आँसू बहाते रहेंगे !
गोलमेज कांफ्रेंस,मीटिंग,
बंद ए.सी कमरे में करते रहेंगे
आखिर खून खराबा
मन को भावुक तो करता ही है !
हम किसी के कंधों पर सिर रख कर
आपकी तकलीफों को दूर करने की,
नीतियाँ बनाते रहेंगे
हम रुमाल भिगोते रहेंगे
आप खून के आंसू रोना
किन्हीं मासूम आदिवासियों के कंधों पर बंदूक रख कर
इनके समूहों के बीच
विभेद करवा कर
उनके ही अपनों के हाथों
दूसरों को मरवा कर
आपस में सरकार की योजनाओं
के पक्ष में, विपक्ष में लड़वाकर
उनका "उपयोग-इस्तेमाल"अपने "लक्ष्य सिद्ध
करने हेतु" खेतिहर-बंधुआ मजदूरों ,
अग्निवीरो सिपाहियों की तरह
लाल सलाम के नाम पर आप करना !
वैसे ऐसा ही कुछ आलम
"पूर्वोत्तर यानी उत्तरपूर्वी सात बहनों"
कहलवाने वाली सात राज्यों में भी है!
हम इसे "एथनिक वार" का नाम देकर
"रूथलैस" कारवाई करते रहेंगे
आपके साजिशों की रणनीतियों
के काट में साज़िशें बुनते रहेंगे!
इस चक्रव्यूह की चक्की में
गेहूं के साथ घुन की तरह
आम जनता पिसे तो पिसे
हम खून से सने-रंगे हाथ धोते रहेंगे!
***वैसे राजनीति सामाजिक मुद्दों पर,
देशहित के लिए
समाज के उत्थान की भावना से प्रेरित
पूर्ण निष्ठा से हो तो इसे देशप्रेम कहते हैं !
जय हिंद! जय भारत! जय विश्ववाद !
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
26)-तारीख-26/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
कनाडा के प्रमुख मार्क कार्नी ने
सत्ता में आने के 2 हफ्ते बाद ही
अपना रंग दिखा दिया
देश में फेडरल इलेक्शन
की घोषणा का आदेश सुना दिया!
उनका य़ह इम्तिहान 28 अप्रैल 2025
को होगा,उनका EVM भी हैक होगा !
सुना है 2022 के चुनाव में श्री पियरे पोलिवृ
को भारतीय मदद मिली थी,
पर य़ह हस्तक्षेप साबित नहीं हुआ!
इस बार भी
इंडिया, पाकिस्तान, चीन,ईरान
से खतरा है कनाडा के चुनाव को
ऐसा मैने नहीं, वहाँ की जासूसी संस्था की ऑपरेशन विभाग की
उप निदेशक Vanessa Lloyd ने कहा है!
और यही वज़ह है नेपीयन से
उम्मीदवार भारतीय मूल के "चंद्र आर्य"
को चुनावी दौड़ से आरोपित कर
बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है!
अब उनकी सीट से मार्क कार्नी
का खेल चलेगा,
क्या पता वहाँ EVM से उनका मेल चलेगा!
आखिर federal election जो है!
वैसे भी इस बार भारतीय मूल के कई कलाकार
अपना जलवा बिखेरेगे-
अपना रंग दिखाएंगे!
चलो देखते हैं-
किन-किन का रंग चढ़ेगा,
किन का रंग उड़ेगा!
17 तो लिबरल पार्टी के सदस्य हैं,
28 conservative पार्टी के !
10 न्यू democratic पार्टी के,
8 पीपल्स ऑफ कनाडा के
तो 4 ग्रीन पार्टी के !
सब अपनी अपनी पार्टी के झंडे तले
युद्धस्तर पर चुनाव लड़ेंगे
किसका खेला कितनी दूर तक चलेगा
हम सब देखेंगे,
मेरी टिपण्णी भी पढ़ते रहना!
देखो भारत से संबंधित
कितने मुद्दे वहाँ उठते हैं
हम चलते फिरते उन सब को
गुनेंगे,आप सुनते रहना !
डॉ कलम श्री विभासुधीर सी तैलंग |
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Saptkiran Blog Diary Posts - Part 3 |
12)- तारीख -12/03/2025
कॉलम-चलते-फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
आवारा कुत्तों से,
पशुओं- पक्षियों से,
परेशान है दिल्ली में RWA!
समझ नहीं आता,
उनकी वज़ह से होनेवाले
सड़क हादसों की बात करें
या उनके आक्रामक होकर काटने,
जान लेने की बात करें !
बच्चों, बूढ़ों,
हम सबका सड़कों-गलियों- पार्कों में, बेफिक्र हो खेलना,
घूमना-टहलना,
आना जाना मुहाल है!
रात भर उनका भौंकना रोना
लगता नागवार हैं बिल्लियों के झुंड,
बन्दरों का प्रकोप,
कौवों,कबूतरों,चीलों का.
बड़ी-बड़ी संख्या में आना
दर्शनीय है, पर लोग बेजार हैं!
प्रकृति से निकटता,
हमारी स्वभाव प्रकृति
प्रकृति प्रेम व्यावहारिक
नहीं लगता लोगों को!
हमारा पशु-पक्षियों से प्रेम दर्शाना,
उन्हें खिलाना पिलाना लाड़ करना !
लोगों के आँखों में खटकता है!
पर बेजुबान पशुओं पक्षियों की
तकलीफों को
देखना भी
हम सबके दिलों को कचोटता है !
फिर इसका समाधान क्या है?
मेरी इस पर शोध जारी है
सटीक और व्यवहारिक
समाधान मिलते ही
इस पर कारवाई करेंगे,
इसमें हमारा भी योगदान होगा
कृपया इस जगह को देखते रहें
हमारे लेखन को पढ़ते रहें!
To be continued.....
मिलते हैं ब्रेक के बाद ....
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
13)- तारीख -13/03/2025
कॉलम- चलते-फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
विश्व शान्ति की ओर एक और पहल
मंशा यूक्रेन और रूस के
बीच के युद्ध की समाप्ति
की पहल के मद्देनजर
30 दिनों की सीजफायर,
यानी युद्ध-विराम की
घोषणाओं की तैयारी
पुतिन का अमरीका को
आश्वासन देना
सशर्त मांगों के साथ
अरब के जेद्दा में हुई
मीटिंग के बाद
जेलेनस्की के यूक्रेन को
नाटो में शामिल ना करें
की सशर्त अनुरोध
To be continued. .....
.
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
14)-तारीख -14/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
तैयार रहना,
अबकी होली आए तो,
हमेशा की तरह,
रासायनिक
या हर्बल नहीं,
फ़ूलों से बने रंगों के संग
रंग देना उन सबको,
जो दिल में मलाल लिए
बजट में महंगाई बढ़ा करके,
मिठाईयों का स्वाद हमेशा की तरह
फीका करके,पानी की किल्लत है ...
सूखी होली खेलो कहलवा कर के
होली की बधाईयाँ देते रहे हैं !
जय हो ! जय हो ! कह कर
पल्ला झाड़ते रहे हैं !!
होली है ! होली है !
का जुमला उछालते रहे हैं !
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
15)-तारीख़-15/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
आज यूक्रेन रूस के बीच की लड़ाई पर लिखी मेरी एक पुरानी कविता यहां शेयर करती हूँ!।
World Peace and War
Whispering of wind
In whistling woods
Moonlit night of newyear
12 O'clock bell announced
Of near by church and
Sleeping birds chirped
As if they knew a new dawn is
Few hours away....
Blessing,health,
Peace and Prosperity
Are the words
World needed but
Putin and zelenski had
Something else in mind
(Nato and Baden,G-7
and India are catalysts
Watching,reacting,
warning,provoking??
Are they trying to make the Peace!!??
Or heading towards third world war...??
Humanity is anxious!!)
20 February 2014 was the day
Russia invaded Ukraine
As they could not digest history of
USSR split into many
And making of their next bigger
"U" Karine SSR" named rebel and
Independent neighbour on 24 अगस्त 1991
Psychology behind it was same as
It was after partition of
India on 15th August 1947
And creation of
Independent Pakistan a day before
And then "making of Bangladesh" in 1971
And now on 24th February 2022
Russia launched full scale invasion
Of the Ukraine mainland
And reached till
It's capital ....KYIV
As their hostility aggravated
Since 2014
Ukrainian revolution of dignity,
With support of europe
After annexation of
Crimea and part of
Donna's from Ukraine
Which is illegal Act
They are internationally
recognized part of UKraine
The way east Pakistan
was axed from west Pakistan
As an Independent
Bangladesh in south asia
With support of sandwitched india
Thus Jammu and Kashmir
problem aggravated
Leh and Ladakh has made
roadway to China from Pakistan
China captured our
kailash mansarover land
Tibet problem escalated,
(We all know,Dalai Lama underground
Went in exile in India (1959/31/March)
Created shadow Tibet in Dharamshala city
Of our Himachal Pradesh state,
In 1984 ही tried once to visit Tibet
But Chinese Military stopped him)
Pakistan occupied Kashmir is our Land
Recognized as Indian Territory
But Illegally Annexed
by our neighbour Pakistan
Who are supporting
Islamic Jihadi terror outfits there
Now they have joined
mainstream Politics of Pakistan,
As a Political Party in their elections now
So as Illegal Immigrants of Bangladesh
"In northeast,WestBengal and Bihar
Who has supports of
"Huji"Jihadist terror outfits and naxalites
(We all know organization like-SIMI
In Madhya Pradesh,Chattisgarh and
Indian Mujahhidin(IM) in
Uttar Pradesh
Are local terror outfits
Helping,grooming,guiding
and has terror links
Are getting monetarily and ammunition
Helps from these naxalite groups
And terrorists groups from
outside our border countries
Like Pakistan,Afganistan,
Nepal,China,Bangladesh,Myanmar
(Rohingya's etc,
some are called extremists also)
Putin is backing Pro-russian separatist. fighters of Donetsk people's Republic
And The Luhansk People's Republic
In war who are fighting
Ukranian military
In an armed conflict
for control over eastern Ukraine.
Thoughts are flowing like
a free wind and stream
Turning to be a Storm or Hurricane ,
Destruction and devastations.
Pain,cry anguish and ambitions
Can't go hands in hand
But this is one reality of life
Russia has their own reasons to resist
Both are offensive and defensive ???
Just see who all play the catalysts??
Let's Pray that Peace must prevail
In time of when we are fighting against
Epidemic corona-worldwide.....
We do not need....
War to became endemic!!
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
16)- तारीख- 16/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
कनाडा का खालिस्तानी Tilt@झुकाव
और भारत से खराब होते रिश्तों
के ख़बरों के बीच
एक उम्मीद की किरण दिखी
जस्टिन बाइबेर नहीं, जस्टिन टुडू
का साल के शुरुआत में
जनवरी 2025 में पद-त्यागना
और अब श्री मार्क कार्नी का देश प्रमुख बनना
उनके उदारवादी रूख और सोच से
भूतपूर्व बैंकर होने के अनुभवों से
भारत से होने वाले व्यापारों पर,
जो रोक लगी है ,बन्द हुए व्यापारिक
रिश्तों में दूरियाँ -शायद अब समाप्त हो!
जयशंकर और कार्नी पाबंदियों को
हटा कर -टैरिफ,टेरर,टैक्स,टेरीटोरिज
टूरिज़म की समस्याओं को सुलझाएंगे!
इमिग्रेशन,स्टूडेंट्स वीजा,
व्यापार,नौकरी,फ़िल्म शूटिंग
उच्च शिक्षा के लिए
जाने वाले नागरिकों छात्राओं के तादाद पर रोक
इन सब पर पुनर्विचार करेंगे !
डॉ कलमश्री विभासुधीर तैलंग
***तारीख 5/05/2025..को
पाकिस्तान से आनेवाले आतंकवादियों ने हमारे धरती पर स्वर्ग कही जानेवाली जम्मू और कश्मीर की खूबसूरत वादियों में दहशत फैलाने के लिए मात्र 4 आतंकवादियों ने 22 अप्रैल 2025 को 26 भारतीय पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया! कैनेडा से हमारे federal सम्बंध तो श्री मार्क कार्नी अब सुधारेंगे! पर इधर भारत और पाकिस्तान के बीच federal रिश्ता तो क्या है,पर रिश्ते जरूर बिगड़ गए! कुछ सालों में जो द्विपक्षीय संबंधों में दो तरफा सुधार हुआ था एक झटके से बिखर गया, ये बर्दाश्त के बाहर है! फिर यह झटके अगर हर तीन चार सालों में हमें लगते रहें तो federal रिश्तों के डोर कब तक मज़बूत रहेंगे??? जो दबाव बनाने के लिए भारत व कनाडा के बीच कदम उठाए गए उससे भी अधिक सख्ती से पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय कारवाई से हम दोनों के संबंधों में दरारें तो बढ़ेंगी ही पर सम्भवतःअब यही..इसका इलाज है! अगर असीम मुनीर ने य़ह कदम उठाया है या उनका "hidden hand" यानी "एक विदेशी हाथ" इसके पीछे है, तो य़ह कहना कि केवल ISI और आतंकवादी चाहते हैं भारत पाकिस्तान युद्ध करें सही नहीं होगा! सम्भवतः अब पाकिस्तानी से
ना के हाथों में युद्ध करने की खुजली हो रही है! और इसका जवाब तो फिर ट्रम्प के अंदाज़ में "ईंट के बदले पत्थर",..."tit for tat" .."an eye for an eye" ...देख लेंगे, छोड़ेंगे नहीं "
की तरह ही मिलेगा, तभी बार बार हमारे पड़ोसी ऐसी हरकतों से बाज आएँगे! कभी-कभी डर और खौफ भी जरूरी होता है!..दो तरफा..
उन्होंने हमारे नागरिकों को डराया है तो उनके अंदर भी भय कुछ खोने का होना ही चाहिए! 5/05/25
17)-तारीख-17/03/2025
कॉलम-चलते-फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर तैलंग
नेपाल में
18)-तारीख-18/03/2025
कॉलम- चलते-फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
चीनी
19)-तारीख-19/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
पाकिस्तान
20)-तारीख -20/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर तैलंग
कनाडा के भारत से रिश्ते
21)-तारीख-21/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलम श्री विभासुधीर सी तैलंग
कश्मीरी पंडित रिफ्यजी दिल्ली
22)-तारीख-22/03/2025
कॉलम- चलते-फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
हसीना
23)-तारीख-23/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
म्यांमार |
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Saptkiran Blog Diary Posts - Part 2 |
6)-तारीख 06/03/2025
कॉलम-चलते-फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
ब्रिक्स की डॉलर से दूरी,
अपनी नयी करेंसी बनाने की अर्जी
जो अभी तक तो साबित हुई है फ़र्जी दक्षिणी एशियाई देशों का
अपना स्वतंत्र वज़ूद बनाने की चाहत
अमेरिका के गिरफ्त से बचकर
सुपर पावर रूस को खुश करके
"चेकमेट",अमेरिका,यूरोपीय संघ,
पश्चिम के देशों को
करने का इरादा ,
पूर्वी पड़ोसी चीन की
अमेरिका से बड़े बनने के ख्वाब मेँ
साथ देकर भी,उसके बढ़त को रोकने की मंशा आर्थिक उपनिवेश बना कर अंग्रेजों के गुलाम
बनने के,अपने इतिहास को ना भूलने का संकल्प !
य़ह लड़ाई केवल रुपये की उबरने की नहीं है,
"डॉलर मानसिकता" के खिलाफ़,
एक जिहाद है !
जो नीचा दिखाती है रुपया को बात बेबात !
पर ट्रम्प का रवैय्या,
ईंट का जवाब पत्थर से देने का अंदाज !
कहीं आर्थिक के साथ साथ
वैश्विक सैन्य संकट को हवा ना दे दे!
कहीं "विश्ववाद" ,"तीसरे विश्व युद्ध" का रूप ना ले ले !
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
7)- तारीख-07/03/2025
कॉलम-चलते-फिरते
वॉचडॉग- डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
सोशल मीडिया "इंफ्लूएनसर" पर
नकेल डालेंगे मोदी
सुना है सोच विचार कर अब बोलेंगे मोदी
ट्वीट भी उनकी संयमित होगी,
भाषा उनकी मर्यादित होगी
किसी स्त्री की भाव भंगिमा देह दृष्टि
उसके आकार गोलाईयों को,
उद्बोधन में शामिल कर
चर्चित विवादित ना होंगे मोदी
अब अपने भाषणों को 56 इंच के सीने
वक्ष, स्तन, योनि जैसे जुमलो से नहीं पिरोयेंगे मोदी
अपने दमित-कुत्सित भावनाओं को
श्रृंगार रस कह
कविता नहीं गढ़ेगे मोदी
उनके वर्णित शब्दावली ओजस्वी होगी
नेहरू, पटेल, सरोजिनी नायडू,अटल की तरह
आज के हमारे नेतागण भी तेजस्वी होंगे
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन नहीं करेंगे
वीर रस, श्रृंगार रस, नवरसों का साहित्यिक मान रखेंगे.
कार्टूनों,साहित्य,फ़िल्मों में
हास्य व्यंग्य,फूहड़ता,और विद्रूपताओं से चुभन
रचनात्मकता,सृजनशीलता व
अश्लीलता के बीच की
महीन लक्ष्मणरेखा की समझ
बचपन से विकसित हो
ऐसी सोच,
इसका एहसास- "सेंस ऑफ ह्यूमर "सब में पैदा करेंगे!
सुना है इस साल फ़.टी.ए. की डील
- यूरोपियन संघ के साथ मोदी करेंगे
ए.आई,डीपफेक,ऑनलाइन धोखाधड़ी. साइबर अपराध और सुरक्षा की बातें करेंगे
"कन्टेन्ट डेवलपर्स" की नकेल कसने को
नियम कायदे कठोर बनेंगे,
"पठनीय सामग्री" की रूपरेखा तय करेंगे
ऑडियो वीडियो प्रिंट जो पसंद ना आए
हटाने का उपक्रम आसान होगा,
वर्ना जुर्माना लगेगा, जुर्म के दायरे में ला
सजा मिलेगी, कड़ी कार्रवाई होगी,
जेल भी जाना होगा!
कुछ "खेलों और खेला" को भी
मान मिलेगा!
ऑनलाइन गेमिंग,
"क्रिपटो करेनसी",
"चिल्लर बीटकोएन","लॉटरी,"रम्मी "
"डार्क वेब" जहाँ "हथियारों,
"ड्रग्स से" लेकर "सब बिकता" है
यानी "जुआ-सट्टा",
जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही
"संयोग का खेल"
"संयोग आधारित खेल "
का नाम और मान्यता दी है!
जबकि "कौशल आधारित खेल"
"या कौशल का खेल"
की मान्यता और नाम
एनिमेंटेड ऑनलाइन गेमिंग को दी है
जो सार्थक जागरूकता फैलाने,
शैक्षणिक, विज्ञापन या विशुद्ध
मनोरंजन इत्यादि के लिए बनी है!
सुना है मोदी सरकार
अब बड़ा बदलाव करने जा रही है!
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां
अलग अलग राज्यों में,
अलग अलग नियम नहीं चला पाएंगी
सब को एक ही छतरी के नीचे
सम्यक दृष्टि रखते हुए, समान कानून के तहत एक ही नियामक ढांचे में लाने की योजना बनाएँगे
सुना है अब गेमिंग कंपनियां
अपनी मनमानी राज्यों के कानून के अंतर्गत नहीं, केंद्र सरकार के
कानूनों के तहत करेगी!
ताकि भविष्य में फिर से
ट्रेड वार,टैरिफ वार,
की तरह ट्विटर वार ना हो !
और विश्व शांति बहाल रहे !!
**** अभी ब्रेकिंग न्यूज है- "क्रिपटो करेंसी" पर
पहला समिट आज ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में रखा! जिस crypto को 4 वर्ष पूर्व ट्रम्प ने "य़ह तो कोई स्कैम जैसा लगता है" कहा था! आज उसे अमेरिका में "दुनिया की कैपिटल" बनाने की योजना बना रहे हैं! उन्होंने य़ह भी कहा भारत अपने टैरिफ में कटौती करेगा!" (07/03/2025)
आज की ताजा खबर-08/03/2025
"कृपट्टोकरेंसी" को लेकर अमेरिका के रूख से प्रभावित. नहीं है भारत! दुनिया के रूख पर रखेगा नजर!
वॉचडॉग- डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
8)- तारीख- 08/03/2025
कॉलम- चलते-फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
महिला दिवस पर महिलाओं के हित की बातें
महिलाओं की सफलताओं,
उपलब्धियों,योगदानों की बातें
उनके सशक्तिकरण ,
समान अधिकारों के साथ
मातृत्व के ऊँचे दर्जे की बातें
पुरुषों के जीवन और विकास में
उनकी सार्थक भूमिका की बातें
पर पुरुषों के सहयोग के बिना क्या स्त्री जीवन पूर्ण है ?
महिला दिवस के दिन ऐसे पुरुषों को पहले सलाम !
****खबर है,- पिछ्ले कुछ वर्षों की भाँति इस वर्ष भी महिला दिवस के दिन 'नवभारत टाइम्स' द्वारा आयोजित इवेंट "कनाट प्लेस से महिलाओं,ल़डकियों की बाइक रैली निकाली जाएगी!"..यानी आज ही!
बाइक चलानेवालीं महिलाएँ दिल्ली में -और शहरों के अनुपात में कम दिखती हैं और इसकी वज़ह है- "सुरक्षा" की कमी! "नवभारत टाइम्स" के पूर्व कार्टूनिस्ट श्री सुधीर तैलंग जी ने 1982-1989 तक सड़क सुरक्षा, सड़क- हादसों- टूटी फूटी सड़कें,गड्ढों से भरी सड़कें,लाइट विहीन सड़कें, तमाम सम्बंधित समस्याओं और उसकी वज़ह,ऑटोरिक्शा,बसों के असली नंबर डाल कर कार्टून बनाए और अपने पॉकेट कार्टून "फ़िलहाल" में दर्शाया जिसे पाठकों ने काफी सराहा और उस पर कारवाई भी हुई!उन दिनों आतंकवादी घटनायें काफी हो रही थीं! बसों, गाड़ियों, ऑटो में, ट्रेन में, हवाईजहाजों में, बॉम्ब रखने की अफवाहें उड़ती! सुधीरजी ने इसपर भी कार्टून बनाए-1986 मेँ ऑटो-बसवालों के यूनियन ने तो इस वज़ह से "नवभारत टाइम्स" दफ्तर के बाहर "धरना- प्रदर्शन" भी करना शुरू किया और मैनेजमेंट को हस्तक्षेप करना पड़ा! ट्रैफिक पुलिस, ट्रांसपोर्ट मंत्रालय सबने इस पर संज्ञान लेकर कारवाई की! बस और ऑटो में शिकायत पुस्तिकाएं लगाई गईं! बहुतों के लाइसेंस रद्द हुए!
उम्मीद है "टाइम्स ऑफ इंडिया समूह"- विशेष कर
"नवभारत टाइम्स" इसका संज्ञान लेकर "सुधीर तैलंग" को समुचित सम्मान देंगें व ऐसे वक्त और मौकों पर याद करेंगे!"
हम सहयोग के लिए तैयार हैं!.
. ......डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग !!
9) तारीख-09/03/2025
कॉलम-चलते-फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
सुना की गंदे नाले की उपमा संगम को दिया जाना
CPCB को स्वयं नागवार गुज़रा,
अब उसने अपनी रिपोर्ट पलट दी,
कहा संगम में महाकुंभ के दौरान
वहाँ का पानी नहाने योग्य था!
अब उन्होंने ऐसा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
के दबाव में किया और कहा
या स्वेच्छा से, य़ह फिर से जाँच का विषय है !
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
10)- तारीख-10/03/2025
कॉलम-चलते-फिरते
वॉचडॉग- डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
लो भई हम फिर चैंपियंस हो गए
पाकिस्तान की जद्दोजहद शान आन बान
तब लुट गई, जब फ़ाइनल मैच,
वहाँ ना हो कर दुबई में हुआ !
खैर! अच्छा ही हुआ,
उनका स्वयं का मैच हारते जाना
फाइनल मैच पाकिस्तान में होता
और भारत जीतता तो दंगे ही होते !
सुना है दुबई में भारत के टीम ने
फाइनल मैच में न्यूजीलैंड को हरा कर
अपने 25 वर्षों पुराना बदला लिया है
और
हमारा 12 साल पुराना सूखा समाप्त हुआ!
चलो अच्छा ही हुआ, कहीं से तो अच्छी खबर आयी!
सरकार और BCCI ने जितना खर्च इन पर किया है
और जीत की खुशी में और कितना इनाम में खर्च देंगे क्या उतने रकम की भरपाई
यानी रेवन्यू@राजस्व वापिस प्राप्त हुआ होगा?
जब देश आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहा हो
तो यह सवाल पूछना लाज़मी है,
उन नेताओं से जो स्वांतः सुखाय को
देश हित से अधिक महत्व देते हैं !
क्रिकेट पर खर्चों या जो धनार्जन हुआ
उससे राष्ट्र का कोष खाली हुआ
या भरा गया राष्ट्र के खजाने को!??
आंकड़े टटोलने होंगे, इस पर शोध पूरी करनी होगी !!
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
11)- तारीख-11/03/2025
कॉलम- चलते-फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
हमारे भारत देश में हिंदी अब,
तीसरी भाषा भी नहीं रही!
तमिलनाडु के स्टालिन और कोझीमनी
संसद सत्र में आपस में ही नहीं,
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से लड़ पड़े !
नहीं मानते हम आपकी NEP की
तीन भाषाओं वालीं नीति को !
हमारे तमिलनाडु में दो भाषाएं
स्कूलो में पढ़ाई जाती हैं !
हम बच्चों पर तीसरी भाषा हिंदी थोपना नहीं चाहते!
हिन्दी अनिवार्य करोगे तो हमारे बच्चों पर बोझ बढ़ेगा!
आपस में "असभ्य"हो गए, हम दिल्लीवासियों की तरह!
बता दूँ हिन्दी जैसी सरल भाषा कोई है ही नहीं !
आप जैसा लिखते हो, वैसा ही बोलते भी हो !
फिर हिंदी बोझ कैसे बन गई ?
हमारी राजकाज की भाषा, राष्ट्रभाषा है हिन्दी!
देश की 70 प्रतिशत आबादी
जिस भाषा को बोलती हो,
देश को जोड़ने की जो आपसी
बोलचाल की भाषा हो ,
वह तीसरी भाषा कैसे हो सकती है?
विश्ववाद के दौर में, विश्वगुरू बनना है तो
अपनी मातृभाषा और राजभाषा को
विश्व में सबसे अधिक बोली जानेवाली
अंतर्राष्टीय भाषा अंग्रेज़ी
के समकक्ष रख कर ही बढ़ना होगा!
हिन्दी, संस्कृत, उर्दू,अंग्रेज़ी,
प्रादेशिक ,विदेशी भाषाओं को
एकरूपता से देखना होगा !
तभी हमारा परचम,
सब तरफ फहराएगा,
लहराएगा!!
जय हिन्दी! जय भारती!
ब्रेकिंग न्यूज-12/03/2025...स्टालिन ने तमिलनाडू के इस बजट सत्र में रुपया को यानी नोट पर से उसके हिन्दी के"र@Re" चिन्ह को हटा करके तमिल भाषा में अपनी "अक्षर@Ru" का उपयोग करेंगे!....वैसे में बता दूँ, या आप सब जानते ही होगे, रुपए का रe एक तमिल लड़के ने ही डिजाइन किया है!
13/03/2025- निर्मला सीतारमन DMK के सांसदों पर इस बात पर बिफर उठीं कि उस कैरीकैचर पर किसी ने विरोध में प्रतिक्रिया नहीं दी जिस में अमेरिका में मोदी को ट्रम्प के सामने बेड़ियों में जकड़ा दिखाया गया है!"..
.....बेड़ियों में जकड़ा तो मोदी को कार्टूनिस्ट श्री सुधीर तैलंगजी ने भी दिखाया था अपने कार्टून में,पर कुछ और सन्दर्भ में---'"2002 से 2014 का सफर उन गुजरात के दंगों के तमाम आरोपों के साथ घसीटते हुए मोदी पहले गुजरात के मुख्यमंत्री बने, फिर प्रधानमंत्री बन ही गए ,वो भी बहुमत वालीं बी जे पी के! राजनाथ सिंहजी उनके पीछे पीछे बेड़ियों के लोहे के गोले को उठाए घूम रहे हैं,जिस पर "गुजरात दंगे"- लिखा है!..."
डॉ कलम श्री विभासुधीर सी तैलंग |
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Saptkiran Blog Diary Posts - Part 1 |
1)- तारीख-01/03/25
कॉलम-चलते-फिरते वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभा सुधीर सी तैलंग
सुना है पिछ्ले 30 वर्षों में
आत्महत्या की संख्या 31%घट गई है !
अपना जीवन लीला समाप्त करना भी आसान नहीं !
य़ह कदम अपने आप में एक कठिन चुनौती है!
"Right to live" and "right to Die"
अपनी जीवन लीला चलती रहे
या समाप्त कर दी जाए
य़ह हक मेडिकल-विज्ञान
"युथेनसीया" का
और देश का कानून देता है या नहीं,
य़ह जानें बगैर कदम उठाना,
पूरे परिवार को सांसत में डाल सकता है!
"संथारा" का हक जैन धर्म ने दिया है !
मिथक में "समाधि" लेने के
कई उदाहरण मिले हैं.
यह भी स्वेच्छा से
आत्महत्या की बात ही है ,
जिसे "इच्छामृत्यु "भी कहते हैं!
किन परिस्थितियों में य़ह उपयुक्त है
इसका तरीका@पद्धति क्या है
य़ह जानकारी ज़रूरी है,
ताकि कानून का उल्लंघन ना हो !
मेरा य़ह कहना,
आत्महत्या को बढ़ावा देना नहीं है
ना ही उसे "महिमामंडित" करना है!
जैसा कि इतिहास में हम "सतीप्रथा"
या "पद्मिनी के जौहर" को संज्ञा देते रहे हैं!
कुछ तो अब तक "मानव बॉम्ब" बन कर
अपनी आहुति देते हैं !
कुछ आंदोलनों में बात मनवाने को,
वोट बैंक की राजनीति को
हवा देने के लिए
"आत्मदाह" करते हैं,
जैसे "राजीव गोस्वामी" ने
मंडल(कमंडल)आंदोलनों के दौरान किया था
ये "ब्रैंन washed,
misguided missiles"
भटके हुए लोग हैं या नक्सलवादी,
साम्प्रदायिक,
या जातिवादी दंगाई हैं
कुछ तो उग्रवादी-आतंकवादी हैं!
जो भी हों , पर हैं आततायी ,
क्रिमिनल जो कोई औरों पर,
तो कोई स्वयं पर "जुल्म" करते हैं!
इसीलिए कोई उन्हें "देशद्रोही ग़द्दार",
तो कोई "देशप्रेमी,देश के अंधभक्त,-शहीद"
की उपमा देते हैं !
जीवन एक बार मिलता है,
या सात बार,
य़ह बेशकीमती है
जीवन संवार कर जियो ,
दिल खोल कर जियो
बातें मरने या मारने की नहीं,
जीवन भरपूर जीने की करो !
कुछ ऐसा कर गुजरो,
कि सब कहें
"एक अकेला, सौ पर भारी "
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
2) -तारीख -02/03/2025
कॉलम-चलते-फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
आज शेयर@साझा करूंगी अपनी
दो साल पुरानी कविता
जो मैने climate change
यानी जलवायु परिवर्तन पर
सालाना होने वाले सम्मेलन cop27
पर सन 2022 नवंबर में लिखा था!
मौसम बदल रहा है!
सर्दियाँ जाने को हैं
और गर्मी दस्तक दे रही है!
आंकड़े बताते हैं,
ग्लोबल वार्मिंग हो रही है,
शायद यही वज़ह है कि
इस वर्ष का फरवरी 2025,
पहले के फ़रवरी महीनों की तुलना में
सबसे गर्म महीना रहा!
***** वर्ल्ड न्यूज-world view from my home
COP27 concluded this month
in Egypt(6th to 20th november 2022)
With messages of emergency,
In climate change front
Its various variants viruses,
as side effects,
Its repercussions on Mother earth,
On ozone layers,
on oceans,
In ecology,
On economy,
On the layers of atmosphere,
On environment, on health,
On wealth,on psychology
On water,on grains,
Green gas omission was
great concern
Usage of fuels,
coal mining,
oil digging
Recycled,
renewable energy,
Its sustainability
Its ecofriendliness,
Its viability
Its development
Its supply,
Its easy excessesbility
Its awareness
Its financial aspects,
Curbs subsides,roadpath
Routes and obstacles,
Barriers, and boundaries
How to overcome it,
How to find solutions
But they forgot to discuss
Natural disasters as
One of the big problem
and how to control it?
And thus on final day of it,
Big earthquake in Jawa-Indonesia Jolted them out to speak on it,
To make effort it more effectively, How to act faster
To prevent natural disasters,
To control it,to cure!
To make it happen less
About disasters control
And managing funds for it!
God knew!
How to remind their human kids,
About man made disasters
and natural disasters!
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
****** from 30 november till 13th december 2023 COP 28 सम्मेलन अरब(UAE) के दुबई में हुआ था, जहाँ पहली बार जीवाश्म ईधन से दूर जाने का उल्लेख किया गया था! लेकिन जीवाश्म ईंधन का चरमबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए स्पष्ट प्रतिबद्धता के कारण इस पर क्रियान्वयन ठीक से नहीं हुआ!चीन और भारत ने इस पर दस्तखत नहीं किए!उनके कोयले के ईंधन पर निर्भरता अधिक है!
Instead of triple our dependency on renewable energy,Modi launched "Green Card energy".He described it as "Health card of The Mother Earth".
Key focus was on the Paris Agreement,they discussed climate action and mobilize finance for Climate action.
Biodiversity treaty was signed in 1992 in Brazil...where first COP1 was held and UNFCCC took it's baby steps.
*****Sudhir Tailang had made an apt cartoon where globe is running on road after then President of America George Bush senior sitting in a US business Car....he wants his sign on biodiversitytreaty....so globe is saying...Autograph please!".....
...*****COP29 was held in Baku,Azerbaijan from 11th till 22nd november 2024 ,where India along with other developing countries advocated for a larger financial target and its emphasized that developed countries should lead in mobilizing finance.
****now COP30 will be held in belem in Brazil from 10th till-21st /november/2025!
Conference of parties (COP) is a pivotal movement for advancing international climate.
COP30 के लिए ब्राजील के दृष्टिकोण का एक प्रमुख विषय "जलवायु वित्त को बढ़ाने की आवश्यकता है! पत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि COP29 में वार्ताए
पर्याप्त नयी वैश्विक जलवायु वित्त प्रतिज्ञा देने में विफल रही,लेकिन आगामी शिखर सम्मेलन को य़ह सुनिश्चित करना चाहिए कि वित्त पोषण प्रवाह "2030 तक आवश्यक ट्रिलियन तक पहुंच जाए! --12/03/2025
*****चलिए थोड़ा UNFCCC के बारे में जाने....The United Nations Framework Convention on Climate Change (UNFCCC)is the UN Process for negotiating an agreement to limit dangerous climate change.It is an international treaty among countries to combat " dangerous human interference with the climate system." The main way to do this is limiting the increase in green house gases in the atmosphere.It was signed in 1992 by 154 states at the United Nations Conference on Environment and Development (UNCED), informally known as the Earth Summit,held in Rio de Janerio.The treaty entered into force in 21st March 1994."UNFCCC" is also the name of the Secretariat charged with supporting the operation of the Convention, with offices on the UN campus in BONN Germany.
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
3)- तारीख-03/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
चलो!कल की बातों को ,
कुछ और आगे बढायें !
जलवायु परिवर्तन और COP सम्मेलन पर
कुछ और बातें जाने
COP 29 सम्मेलन को बड़ा फ्लॉप मानते हैं!
कहते हैं समुचित वित्त लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाए,
ना ही बढ़ते ग्लोबल तापमान को नियंत्रित कर पाए
प्राकृतिक विपदाओं से क्षति के लिए,
वित्तीय फंड की अपेक्षित आपूर्ति नहीं हुई !
जीवाश्म ईंधन संक्रमण यानी
कोयला,तेल ,प्राकृतिक गैस से उत्पन्न
ऊर्जा से दूरी ना बरतना,
प्रकृति से प्राप्त ऊर्जा जैसे
वायु, जल, अग्नि, धरती के अंदर से
निकले गैस इत्यादि का उपयोग पूर्णतया करना,
जीवाश्म ईंधन की तरफ से दूरी बरतना ऐसा कर पाने में वित्तीय संकट को दूर नहीं कर
पाने में महत्वाकांक्षा की कमी,
भरोसे की कमी,
जनजातियों से समर्थन न मिलना !
य़ह कई ऐसे मुद्दे जिससे स्वयं को उबार नहीं पाए!
सम्भवतः अब COP30 इनके पास अंतिम मौका है!
To be continued ......
4)-तारीख-04/03/2025
कॉलम-चलते फिरते
वॉचडॉग -डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
AQI लेवल यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स
मतलब हवा में,
प्रदूषण का स्तर कितना हो ⁷
य़ह जाने तो क्या कुछ बदल सकते हैं !
साँसों की बीमारियों,
आँखों में जलन
त्वचा में खुश्की
दम के घुटन से बचाव कर सकते हैं!
AQI स्तर 50 तक बेहतर होता है!
50 से 100 तक,
बीमारियों की सौगात लाता है !
100 से 150 तक
वायु प्रदूषण से सम्वेदनशील लोगों
को परेशान करता है !
150 से 200 तक
बीमारों की तकलीफों को बढ़ाता है,
नए रोगी और रोग भी लाता है !
200 से 300 तक
गंभीर बीमारियों को आमंत्रित करता है
जो पहले से साँस की तकलीफों से त्रस्त हैं
उनका जीना मुहाल होता है,
कइयों को शहर छोड़ना पड़ता है!
300 से ऊपर तक जाना
महामारी को बुलावा देना है
मास्क पहने लोग, सिर,
आंखें, मुँह ढंके लोग
बाहर घूमते, अस्पतालों में
लंबी होती कतारों में नजर आते हैं
साँस ,त्वचा की बढ़ती बीमारियों से बेजार
उनकी कार्य क्षमता को घटाती है
उनका धन "अस्पताल,
स्वास्थ्य बीमा कंपनियां"
खाती हैं,
घर बार बिक जाते हैं ईलाज में
कुछ देश-शहर छोड़कर,
तो कुछ दुनिया छोड़कर चले जाते !
वायु प्रदूषण रोकने के तरीके को जानो !
जितना समाधान सरकारी एजेंसी निकालें
उन पर दबाव बनाए रखो,
पर स्वयं के हाथ से जितना
हो सके जरूर अपना फ़र्ज़ निभाओ
सौर्य ऊर्जा
पवन ऊर्जा
जल ऊर्जा
का उपयोग करो,
जलावन के लिए लकड़ी नहीं,
गोबर के उपले का इस्तेमाल करना
कोयले के चूल्हे का
उपयोग ना करना
गोबर गैस का उपयोग करना !
जितना पेड़ काटो,
उससे दुगुना पेड़-पौधे लगाना
प्लास्टिक का कम उपयोग करना !
अपनी गाड़ी ईंधन प्रदूषण रहित रखना
लंबी फेहरिस्त है,जो आप कर सकते हो
जल-वायु,वातावरण प्रदूषण
दूर करने के उपाय को
उनके बारे में पढ़ करके गुणों
या मेरे से जानो !
पर कुछ करो जरूर!!
अपने वर्तमान और
भविष्य को स्वयं सुधारों !!
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
*****आज अभी AQI लेवल 109 है जोकि सेहत के लिए हानिकारक है!
*** सुधीर तैलंगजी का 30 वर्षों पुराना कार्टून है,,जिसमें उन्होंने भविष्य को देखा था----"जहाँ टूरिस्ट बस में बैठे लोगों को गाइड कहता है-अब हम दिल्ली प्रवेश कर रहे हैं, जल्दी से अपना ऑक्सीजन मास्क पहन लें!"
...ऐसे ही दूसरा कार्टून
"सन 2001" में छपा था,जिसे हिन्दुस्तान टाइम्स के "कार्टून कंटेस्ट के लिए बनाए आमंत्रण कार्ड और पोस्टर पर रंगीन कार्टून बनाकर छपवाया था! एक स्कूल का छात्र यूनीफॉर्म पहने, हाथ में सन 2045 विंडों का लैपटॉप @कंप्युटर पकड़े, मुहँ पर ऑक्सीजन मास्क पहने, पीठ पर भारी स्कूल का बस्ता टांगे सड़क पर जा रहा है!"- कांटेस्ट का विषय था "laughing into new millennium"...!! हास्य व्यंग्य से परिपूर्ण कार्टून आजीवन बनाते रहे कार्टूनिस्ट सुधीर तैलंग जी को शायद पता था, 16 वर्ष- बाद 6 फरवरी 2016 को ब्रैंन कैंसर से उनकी जब मृत्यु होगी, अंतिम वक़्त तक मुस्कराते रहने वाले सुधीर "सबको रुलाने के बजाए हंसा कर" चले जाएंगे! ...!!
डॉ कलम श्री विभासुधीर सी तैलंग
5)- तारीख 05/03/2025
कॉलम - चलते फिरते
वॉचडॉग-डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
सेंसेक्स की सीढ़ियों पर निफ्टी का उतार चढ़ाव
वो रुपये का गिरता ऐतिहासिक स्तर
ट्रम्प@टैरिफ@डॉलर@यूरो से,
भिड़ कर उसका उबरना
और आज उभर कर ऊपर आना ग़ज़ब ढा गया!!
सितंबर 24 से मार्च 4 /2025 तक का फिसलन
ना जाने पिछ्ले 29 वर्षों के कितने रिकार्ड तोड़ गया
कितनों का दिल टूटा,धन लुटा,पैसे स्वाहा हुए
पर अभिशप्त रुपये का रूह ,
तड़प कर पुनर्जीवित हो गया !
रुपये का पुनर्जन्म मुबारक हो !!
सेंसेक्स का ब्लडबाथ,
निफ्टी का गहराई में गोते मार कर उबरना
स्टॉक एक्सचेंज के ग्राफ का सुधरना
आर बी आई,सेबी का मंथन करना
रेपो रेट,ब्याज एफ डी का घटाना,
आम जनता की तकलीफों को बढ़ाना !
पर सुना है इनफ्लैशन और प्राइस राइज
यानी मुद्रास्फीति व महंगाई दर घट गई है!
निर्मला "सीता" मैडम और मोदीजी को
राहत मिली होगी,
जनता जो स्टॉक मार्केट से जुड़ी है
उनके "हिस्ट्री शीट की पृष्ठभूमि" का विश्लेषण या
उनके "बुलशीट" की रीलस,मेमस नहीं ,
अपने "बैलेंस शीट " को देख रही होगी !
सेंसेक्स का ऊपर चढ़ना,
निफ्टी का निरोगी होना
आप सबको मुबारक,
आर्थिक स्वास्थ्य बनी रहने के लिए
इनके नब्ज देखते रहें
इसकी स्थिरता बनी रहे
य़ह कामना करें!
डॉ कलमश्री विभासुधीर सी तैलंग
**** इस पर कार्टूनिस्ट श्री सुधीर तैलंगजी ने कार्टून बनाया "जिसमें अस्पताल में स्ट्रेचर को एक तरफ से श्री पी चिदंबरम पकड़े हैं, तो दूसरी तरफ से मनमोहन सिंहजी! स्ट्रेचर पर रूपया धराशायी पड़ा है!"....विभा
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Politicians Serve The Cartoonists Only All The Time |
Sunday, April 22, 2012
पूरे समय कार्टूनिस्ट्स की ही सेवा करते हैं राजनेता! Bhaskar News(22/04/12)
पूरे समय कार्टूनिस्ट्स की ही सेवा करते हैं राजनेता!Source: Bhaskar News | Last Updated 02:40(22/04/12)आर्टिकलजयपुर.भारत कार्टूनिस्ट्स के लिए स्वर्ग है, क्योंकि यहां के राजनेता पूरे समय कार्टूनिस्ट्स की ही सेवा करते हैं, यह कहना है देश के जाने-माने व्यंग्य चित्रकार सुधीर तैलंग का। यह बात उन्होंने शनिवार को उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर होटल राजपूताना शैरेटन में आयोजित टॉक शो में कही। हर रोज अपने व्यंग्य चित्रों के माध्यम से लोगों के दिलों को झकझोरने वाले सुधीर तैलंग कहते हैं कि उन्हें आज तक यह समझ में नहीं आया कि कार्टून बनते कैसे हैं?हर सुबह जब उठता हूं, तो दिमाग विचारों से पूरी तरह शून्य होता है, पता नहीं होता है कि आज क्या करना है? आठ-दस अखबार पढ़ने के बाद अचानक कोई आइडिया दिमाग में कौंधता है और बन जाता है कार्टून। तैलंग के व्यंग्य चित्रों से जुड़ी तीस वर्ष से भी अधिक यात्रा को एंकर सालेहा गाजी ने बड़े ही रोचक और नफीस अंदाज में जीवंत किया। कार्यक्रम का माहौल भी काफी जीवंत रहा। तैलंग की रोचक बातों ने इस दौरान लोगों को जमकर ठहाके भी लगवाए। यह आयोजन राजस्थान नेशनल फोरम की ओर सेकिया गया।इन बातों ने खूब हंसायासबसे कठिन काम लालू प्रसाद यादव का कार्टून बनाना है, क्योंकि जो खुद ही कार्टून हो, उसका कार्टून कैसे बनाएं? बचपन का सबसे बड़ा सपना सिनेमा हॉल का गेटकीपर बनना था, क्योंकि मेरी नजर में वह बहुत पावरफुल व्यक्ति था, जो एक दिन में फिल्मों के चार-चार शो देखता है। फिल्म देखने आने वालों को भी निर्देश देता है और इसके बाद तनख्वाह भी लेता है।बातों ही बातों में बनाए कार्टूनसुधीर ने कहा - व्यंग्य चित्र की इस यात्रा में उनके तीन सुपर हीरो रहे हैं। हीरो नंबर वन पीवी नरसिम्हा राव, हीरो नंबर दो लालकृष्ण आडवाणी और हीरो नंबर तीन लालू प्रसाद यादव। सुधीर ने मात्र चार मिनट की अवधि में वहां लगे बोर्ड पर पीवी नरसिम्हा राव का व्यंग्य चित्र बना दिया। उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी का भी व्यंग्य चित्र बनाया।Ads by GoogleInternational Air Tickets
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Laughing At Despair |
LAUGHING AT DESPAIR
(SUNDAY MAGAZINE)
THE HINDUSTAN TIMES 1997
(HERE AND NOW)
A COLLECTION OF CARTOONS BY SUDHIR TAILANG
AMBIENCE PUBLISHING HOUSE,
A-23,MAYAPURI-II.NEW DELHI
RS 250 (HARD COVER),RS 150(PAPERBACK)
BY SUNEET CHOPRA
THE CARTOON IS PERHAPS ONE OF THE MOST SERIOUS FORMS OF ART.IT IS THE EXPRESSION OF THOSE SENSITIVE BEINGS WHO CANNOT HOLD BACK THEIR TEARS IN A TIME OF CRISIS AND CHOOSE TO LAUGH INSTEAD,INDIA HAS HAD A GOOD CROP OF CARTOONISTS WHO ARE ARTISTS QUALITY,LIKE GAGANENDRANATH TAGORE,SHANKER PILLAI,R.K.LAXMAN,MARIO MIRANDA,UNNY AND NOW SUDHIR TAILANG.SO ONE WOULD HAVE EXPECTED A GOOD APPRECIATION AND DOCUMENTATION OF CARTOONS.
THAT,HOWEVER,DID NOT HAPPEN,AS THE NEHRU ERA SPAWNED AN AGE OF DYNASTIC ILLUSIONS,PALACE INTRIGUES,A CENTRALIZATION OF POWER AS NEVER BEFORE AND THE CAPACITY TO MAKE EQUALLY DEVASTATING MISTAKES.IN SUCH A CONDITION A SENSE OF HUMOR HAD NO PLACE IN A WORLD OF SYCOPHANCY AND HYPERBOLE.
YET,LIFE REASSERTS ITSELF AT TIMES LIKE THESE IN STRANGE WAYS. RABINDRANATH LAMPOONED MUSSOLINI IN THE THIRTIES.GAGANENDRANATH MOCKED THE EMPIRE THAT PROMISED TO LAST FOR A THOUSAND YEARS BUT COLLAPSED IN LESS THAN THREE
DECADES OF HIS SAVAGE ATTACKS ON THEM.AND OUR PERIOD OF THE CIRCUS OF POUTING PIGEONS-FROM THE NEHRU-GANDHIS TO NARASIMHA RAO AND SSSSSSSESHAN -HAS ITS OWN CHRONICLER,SUDHIR TAILANG WHOSE BOOK "HERE AND NOW" IS MODESTLY TILTED,BUT OPENS SIGNIFICANT DOORS TO THE PAST AND FUTURE AS WELL.
HIS SENSITIVITY IS HIS STRONGEST WEAPON.HIS CARTOON OF MAHATMA GANDHI ON HIS SAMADHI WITH RAJIV GANDHI AND H.K.L BHAGAT LOOKING CURIOUSLY ALIKE IN DARK GLASSES,REMINDS ONE THAT FOR ALL THE IMAGE -PROJECTION.RAJIV GANDHI COULD NOT WASH AWAY THE STAINS OF THE DELHI RIOTS THAT FOLLOWED THE ASSISSINATION OF INDIRA GANDHI.INDIRA AND HER SUCCESSORS HAD INFACT RADICALLY ALTERED THE FACE OF POLITICS FROM THE DAYS OF THE NATIONAL MOVEMENT.THIS TAILANG CONFRONTS US VISUALLY.
HOWEVER IN HIS VISUAL OF THE 1989 ELECTIONS,WITH RAJIV GANDHI HOLDING THE STAND OF THE TROPHY,ADVANI THE BASE,V.P.SINGH THE CUP AND JYOTI BASU ITS COVER,AFTER THE 1989 ELECTIONS WAS AN EARLY UNDERSTANDING OF THE COALITION THAT WERE TO FOLLOW.
EVERY GOOD ARTIST HAS HIS OWN WAY OF DEALING WITH SITUATION.TAILANG IS NO EXCEPTIION.HIS STRENGTH LIES IN HIS BEING ABLE TO MOCK OTHERS WITHOUT BEING VIETERPERATIVE.HIS STUDY OF NARSIMHA RAO DOING AN M.F.HUSSAIN LIKE VISARJAN ON THE BANK SCAM THROUGH THE JOINT PARLIAMENTARY COMMITTEE IS A COMMENT EQUALITY ON POLITICAL ATTEMPTS TO WHITEWASH CORRUPTION AS ON THEIR SOCIAL FALLOUT OF THEATRICAL SOCIETY WHERE APPEARANCES TAKE OVER FROM REALITY.
YET,IT IS TO HIS CREDIT THAT HE PINPOINTS THAT REALITY WITH CLARITY THAT IS CHARACTERISTIC OF HIM.HE PRICKS THE BJP'S GOEBELLSIAN CAMPAIGN TO PROJECT ITSELF AS A WINNER BY DRAWING A CHARIOT WHOSE HORSES HAVE FLED TO KHAJURAHO.TAILANG'S CARTOONS ARE JUST WHAT WE NEED TODAY.
THEY GIVE US AN INSIGHT INTO HARD TIMES BUT MAKE US LAUGH AT THE CHALLENGES WE MUST FACE UP TO AND NOT DESPAIR.
EVERY MEMBER OF PARLIAMENT SHOULD HAVE THESE CARTOONS --TO PLACE NEXT TO HUSSAIN'S TONGUE-IN-CHEEK VISUAL ACCOUNT OF HIS TIME SPENT IN THE RAJYA SABHA.THE REST OF US WILL GO TO THE BOOKSTORES THAT ARE LIKELY TO DO VERY WELL WITH THIS DELIGHTFULLY SPONTANEOUS SET OF LAUGHS. |
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Between Humour & Distortion |
BETWEEN HUMOUR AND DISTORTION
ART MAY 23/1997
THERE IS ONLY A THIN LINE DIVIDING A CARICATURE AND A POLITICIAN,SAYS CARTOONIST SUDHIR TAILANG WHOSE EXHIBITION IS NOW ON IN DELHI.GAYATRI SINHA WRITES.....
AS THE PACE SLACKENS UNDER THE ONSLAUGHT OF SUMMER,ART EXHIBITIONS GRADUALLY PETER OUT INTO A TRICKLE.OUT OF TOWN ARTISTS USUALLY USE THIS OPPORTUNITY TO APPEAR IN THE CITY'S ART CIRCUIT,WITH SOME DISTINCTLY REGIONAL MANIFESTATIONS IN ART.IN THIS "SILLY SEASON",SUDHIR TAILANG'S EXHIBITION OF CARTOONS IS A WELCOME RELIEF.
MOUNTED AT DELHI'S SHRIDHARANI GALLERY,IT COVERS EIGHT YEARS OF TAILANG'S CARTOONING CAREER,BEGINNING WITH RAJIV GANDHI'S SHARP DECLINE IN PUBLIC LIFE,TO THE UNEXPECTED ASCENDANCE OF MR INDERRRR KUMAR GUJRAL TO PRIME MINISTERSHIP.UNIFORMLY DRAWN FROM HIS COLUMN--"HERE AND NOW",THESE 100 CARTOONS HAVE BEEN SELECTED FROM A CORPUS OF ABOUT 3000 DRAWINGS,AND CENTRE ON THE SIX MAJOR POLITICAL PARTIES AND ALIGNMENTS IN THE COUNTRY DURING THIS EIGHT-YEAR PERIOD WHICH MAY WELL GO DOWN IN INDIAN HISTORY AS THE PERIOD OF CIRCUS ANTICS IN HIGH PLACES,WHEN THE DIVIDING LINE BETWEEN CARICATURE AND POLITICIAN BECAME VERY THIN."RAJIV'S DECLINE IN 1989 COINCIDED WITH MY RISE," SAYS TAILANG."IN FACT THE COMPLETE SCENARIO WAS THE BEST THING FOR A CARTOONIST,SINCE HE WAS THE BEST THING FOR A CARTOONIST.SINCE HE WAS COMPLETELY EMBROILED IN SCANDALS."RAJIV GANDHI ROCKING HAPLESSLY ON A TOY ROCKING HORSE IS TAILANG'S RECORD OF THE PRIME MINISTER'S INEFFECTUALITY'
RAJIV'S SUCCESSOR V.P.SINGH,WAS ANOTHER CARTOONIST'S FAVOURITE."V.P.SINGH WAS RULING THE ROOST,HE WAS RECEIVED AS A HERO,BUT HE ALSO CONTRIBUTED TO THE RISE OF SUDHIR TAILANG! THE CARTOONIST COMMENTS IRREPRESSIBLY.ONE OF TAILANG'S CARTOONS DEPICTS AN ASTROLOGER TELLING V.P.SINGH THAT SINGH HIMSELF IS THE FINEST ASTROLOGER.SINCE HE HIMSELF HAD PREDICTED THAT HE WOULD BE A DISASTER AS A PRIME MINISTER.
NARSIMHA RAO,WHO DELIGHTS TAILANG FOR HIS "FROG LIKE", VISAGE AND LONG PREGNANT SILENCES,IS THOROUGHLY CARICATURED,ESPECIALLY FOR HIS INORDINATELY LONG DELAY IN RESIGNING FROM THE PRESIDENTSHIP OF THE CONGRESS PARTY,EQUALLY,ADVANI'S RATH YATRA IN WHICH HE FANCIES HIMSELF AS A MODERN DAY RAM,LALOO PRASAD YADAV AND THE FODDER SCAM,DEVE GOWDA'S SNOOZE INTERSPERSED PUBLIC APPEARANCE ARE ALL GRIST FOR TAILANG'S MILL.SELF CONFESSEDLY,HE IS STILL WORKING ON GUJRAL,LOOKING FOR AREAS OF WEAKNESS THAT MAY BE EXPLOITED.
AS A CARTOONIST TAILANG FOLLOWS BROADLY IN THE TRADITION OF SHANKER PILLAI AND LAXMAN WHOSE INTENTION IS TO EVOKE A COMIC RATHER THAN A SATIRIC RESPONSE.HIS AREA OF INTEREST IS ALMOST COMPLETELY POLITICAL,ALTHOUGH SOCIAL CULPABILITY PREJUDICE AND SUPERSTITION ALSO COME IN FOR OCCASIONAL ATTACK.HIS RESPONSE TO THE HUGE PUBLIC BELIEF IN GANESHA'S MILK-DRINKING MIRACLE IS TO SHOW THE ELEPHANT HEADED GOD DRINKING STRAIGHT FROM A MOTHER DAIRY MILK TANKER.HERE THE HAPLESS ATTENDENT COMES AND SAYS THAT THE MILK IS FINISHED,BUT THERE IS STILL SOME ICE-CREAMS!! PUBLIC RESPONSE IS NOT UNIFORMLY APPRECIATIVE,AFTER THIS GANESHA CARTOON WAS PUBLISHED,HE RECEIVED ABOUT THREE HUNDRED PHONE CALLS,MOST OF THEM THREATENING.
TAILANG SAYS THAT HE MAKES A THOROUGH STUDY OF HIS SUBJECTS-----THROUGH TELEVISION,PUBLIC MEETINGS AND RALLIES---AND RECORDS QUIRKS OF SPEECH AND BEHAVIOUR.WITH THE PASSAGE OF TIME,HE FEELS THAT TASK OF THE CARTOONIST IS BECOMING HARDER,NOTWITHSTANDING THE CONSTANT ENTERTAINMENT ON THE POLITICAL STAGE."EARLIER THERE WAS A DIVIDING LINE BETWEEN THE POLITICIAN AND A CARICATURE: NOW THAT LINE IS SLOWLY DISAPPEARING.""RATHER THAN GIVING US TIME TO DISTORT THEM,THEY THEMSELVES ARE DISTORTED." TAILANG ALSO STRIKES A DIFFERENT STANCE HERE BY PUTTING HIS CARTOONS UP FOR SALE, PERHAPS BEING THE FIRST CARTOONIST TO PUT UP HIS WORK AS A SALEBLE ART FORM. |
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saurabhchoudhary1234@gmail.com | 2 | Reply | Reply 2 |
CARTOONISTS HAVE RIGHT TO FREE SPEECH....TOBY YOUNG |
Vibha Tailang 29 Mar 2020 Reading Time 4 minutes
Courtesy --THE ASIAN AGE (newspaper) (BY ARRANGEMENT WITH THE SPECTATOR)
I AM NO FAN OF STEVE BELL,THE GUARDIAN CARTOONIST I CAN’T SAY I’VE EVER LAUGHED AT ONE OF HIS SQUIBS,WHICH ARE WITLESS AND CRUDE.SOME WOULD CALL HIM “FEARLESS”,BUT HE JUST SEEMS CRUEL AND OVER THE TOP TO ME.WHEN THE GUARDIAN FINALLY PUTS HIM OUT TO GRASS,WHICH SURELY WON’T BE LONG,BE WILL DISAPPEAR INTO THE INKWELL OF HISTORY.BUT HAVING SAID ALL THAT,I WOULD DEFEND TO THE DEATH HIS I WOULD DEFEND TO THE DEATH HIS RIGHT TO PRODUCE HIS TASTELESS CARTOONS,AS WELL AS THE RIGHT OF HIS NEWSPAPER TO PUBLISH THEM.
LAST WEEK,THE GUARDIAN PRINTED A STEVE BELL CARICATURE OF PRITI PATEL SITTING NEXT TO BORIS IN THE HOUSE OF COMMONS THAT WAS WIDELY CONDEMNED AS “RACIST”.THE REASON?HE DEPICTED HER WITH HORNS ON HER HEAD AND A RING THROUGH HER NOSE,WHICH MANY SAW AS A DEROGATORY REFERENCE TO HER INDIAN HERITAGE, “THIS CARTOON IS OFFENSIVE ON EVERY LEVEL,”TWEETED THE BRITISH TAMIL CONSERVATIVES.”IT’S ANTI HINDU.IT POTRAYS THE HOME SECRETARY,OF HINDU ORIGIN,AS A COW.A SACRED SYMBOL FOR HINDUS.IT’S A RACIST AND MISOGYNIST.IT’S PLAINLY UNACCEPTABLE! IT MAY CONSTITUTE A HATE CRIME.”
THAT’S COMPLETE NONSENSE,I’M AFRAID.THE TAMILS,ALONG WITH THOUSANDS OF OTHER CONSERVATIVES WHO CLAIMED TO BE OUTRAGED BY BELL’S CARTOON,ARE DOING EXACTLY WHAT THE LEFT HAS BEEN DOING FOR THE PAST 25 YEARS,NAMELY INTERPRETING SOMETHING IN THE WORST POSSIBLE LIGHT SO THEY CAN PRETEND TO BE OFFENDED.
THE FACT IS,BELL IS NOT PORTRAYING PRITI PATEL AS A COW,LET ALONE A SACRED ONEE,BUT AS A BULL.AFTER ALL,BULLS HAVE RINGS THROUGH THEIR NOSES,COWS DO NOT.IF YOU’RE IN ANY DOUBT,GOOGLE “SACRED COWS”,ADMITTEDLY,THERE ARE SUCH THINGS AS SACRED BULLS IN HINDU CULTURE,BUT WAS THAT REALLY BELL’S INTENDED REFERENCE? DRAWING THE HOME SECRETARY AS A BULL MAKES SENSE,GIVEN THE ALLGATIONS MADE AGAINST HER BY MEMBERS OF THE CIVIL SERVICE,MOST OF WHICH BOIL DOWN TO SAYING SHE’S AGGRESIVE AND CONFRONTATIONAL.INCEDENTALLY,I DON’T THINK SHE SHOULD BE REMOTELY ASHAMED OF THAT.IF I WERE HER I’D BUY THE CARTOON AND GIVE IT PRIDE OF PLACE IN MY DOWNSTAIRS LOO.
BUT LET’S SUPPOSE BELL’S CRITICS ARE RIGHT AND HE IS TRYING TO DEPICT,PATEL AS A SACRED COW,SO WHAT? YES,MANY HINDUS WOULD FIND THAT OFFENSIVE,BUT THAT’S THE PRICE YOU PAY FOR LIVING IN A FREE,SOCIETY.I’M PAY FOR LIVING IN A FREE,SOCIETY.I’M SURE TENS OF MILLIONS OF CHRISTIANS FOUND LIFE OF BRIAN OFFENSIVE,BUT THAT’S NOT A REASON TO PILLORY ITS CREATORS OR DISTRIBUTORS.EFFECTIVE SATIRE IS OFTEN EXTREMELY OFFENSIVE,INDEED,IT’S HARD TO IMAGINE A TRULY MEMORABLE PIECE OF SATIRE THAT ISN’T.AS JOHN CLEESE ONCE SAID: “NO ONE HAS THE RIGHT NOT TO BE OFFENDED”.
SOME OF THOSE EXPRESSING DISGUST AT BELL’S CARTOON HAVE POINTED OUT THAT THE TRIBUNES OF THE PROGRESSIVE LEFT WOULD BE ABSOLUTELY UP IN ARMS.IF A CARTOONIST FOR A RIGHT-OF-CENTRE PAPER DEPICTED DIANE ABBOTT OR DAWN BUTLER IN AN EQUALLY UNFLATTERING WAY,INCLUDING THE GUARDIAN.NO DOUBT THAT’S TRUE,BUT THE CORRECT RESPONSE IN THE FACE OF SUCH FAUX OUTRAGE IS TO REJECT IT OUT OF HAND,NOT TO EMBRACE THIS CENSORIOUS APPROACH AND APPLY IT TO OUR POLITICAL OPPONENTS.
IF WE ACCEPT THAT SOME JOKES OR CARTOONS SHOULD BE RULED OUT OF BOUNDS BECAUSE SOMEONE,SOME WHERE MIGHT FIND THEM OFFENSIVE,THEN THE OTHER SIDE HAS WON.WHEN FACED WITH AN “UNACCEPTABLE” CARICATURE OF ONE OF THEIR OWN,CONSERVATIVES SHOULD DEFEND THE CARTOONIST’S RIGHT TO FREE SPEECH AND TELL ANYONE ON THEIR SIDE WHO CLAIMS TO BE UPSET BY IT TO GROW A THICKER SKIN.STEVE BELL’S CARTOON IS NO MORE A “HATE CRIME” THAT AMBER RUDD’S SPEECH ON IMMIGRATION WAS AT THE 2017 TORY PARTY CONFERENCE.
NO,THE POINT WORTH MAKING IS THE OPPOSITE ONE: TO ATTACK THE GUARDIAN FOR NOT STANDING UP FOR FREE SPEECH.IN THE WEEK FOLLOWING THE LAUNCH OF THE FREE SPEECH UNION --THE MEMBERSHIP ORGANISATION I’VE HELPED SET UP TO DEFEND FREE SPEECH---THE GUARDIAN PUBLISHED A PIECE ATTACKING IT(AND ME) EVERY DAY.ACCORDING TO THEIR COLUMNISTS,IT’S A POLITICAL CAUSE THAT ONLY BENEFITS MALE,PALE AND STALE CONSERVATIVES AND THEREFORE ISN’T WORTH DEFENDING.
TURNS OUT,THE SPEECH RIGHTS OF MALE,PALE,AND STALE SOCIALISTS ARE ALSO AT RISK.WE DON’T GENERALLY DO CORPORATE MEMBERSHIPS AT THE FSU,BUT I’M WILLING TO MAKE AN EXECPTION FOR THE GUARDIAN.I’VE A FEELING ITS JOURNALISTS ARE GOING TO NEED OUR PROTECTION AS THE LEFT TURNS ON ITSELF AND BEGINS TO PURGE THE IDEOLOGICALLY IMPURE.
BY ARRANGEMENT WITH THE SPECTATOR FROM THE ASIAN AGE NEWSPAPER.
PRESENTATION
VIBHA TAILANG..(19/3/20) |
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saurabhchoudhary1234@gmail.com | Very right comment. |
Blog 5 |
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The cartoons world is also not untouched by the anarchy |
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An atmosphere of communal intolerance currently in India |
Today’s news headlines informed us that Mr. Ratan Tata, in a speech in Gwalior, in the presence of Jyotiraditya Scindia, expressed concern over the alleged growing intolerance in the country, dubbing it “a curse we are seeing of late.” What prompted him to say these words? Since it is coming from an impeccable source of uncompromising integrity one cannot ignore or brush it under the carpet. One must respect and ponder over why he is feeling that way. Ignoring the warning can be only at one’s own peril.
India has been under attack from Pakistan for many years now. All these years, the Indian response has been to put up a brave face to control the damage and slowly but surely put out the memory of the events, manage the outfall and move on. Making some noises at the UN followed by many seminars, conferences, back channel talks and other such efforts to once again establish a semblance of friendship. There was nothing wrong with this approach. It was by and large dictated by our thousand years of slavery under various foreign rulers. It is to the credit of the Indian that he never sees anyone as an outsider, but only another fellow human being on his journey through this earth, to attain nirvana or moksha. |
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The new anarchy - Globalisation and Fragmentation in World Politics |
Modern International Relations theory has consistently underestimated the depth of the problem of anarchy in world politics. Contemporary theories of globalisation bring this into bold relief. From this perspective, the complexity of transboundary networks and hierarchies, economic sectors, ethnic and religious ties, civil and cross-border wars, and internally disaggregated and transnationally connected state actors, leads to a complex and multidimensional restructuring of the global, the local and the uneven connections in between. We ought to abandon the idea of ‘high’ and ‘low’ politics, ‘inside’ and ‘outside’ once and for all. This does not remove the problem of anarchy but rather deepens it, involving multidimensional tensions and contradictions variously described as ‘functional differentiation’, ‘multiscalarity’, ‘fragmegration’, disparate ‘landscapes’, the ‘new security dilemma’ and ‘neomedievalism’. Approaching anarchy from the perspective of plural competing claims to authority and power forces us to think again about the nature of global order and the virtues of anarchy therein. Will the long-term outcome be the emergence of a more decentralised, pluralistic world order or a quagmire of endemic conflict and anomie?
The modern nation-state is supposed to bring together four fundamental features that lie at the heart of political philosophy, more generally: political cohesion, including underlying bonds of social identity and loyalty; structural differentiation, where the state is seen as an institutional structure distinct from others in society and economy; institutional ‘relative autonomy’ and the legitimate authority of the state itself (Weber, 1958) and, especially, multifunctionality. These combine in a single, ideal-type institutional structure characterised as ‘sovereign’ (Krasner, 1999). States, especially modern nation-states, have been described as ‘arenas of collective action’ domestically and effective unit actors able to make ‘credible commitments’ internationally (Spruyt, 1994). This perception has led, in particular, to what has been called the ‘levels of analysis distinction’ (Hollis and Smith, 1990), with the state as the axis combining levels in a ‘two level game’ (Putnam, 1988), an image of world politics in which anarchy exists at the third, highest level of politics, which lacks that which the state has: government. |
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